शहरी निकायों की वित्तीय सेहत सामने लाने की तैयारी, सिटी फाइनेंस रैंकिंग के लिए पोर्टल लॉन्च
इस साल के बजट में भी इसका संकेत दिया गया था कि केंद्र सरकार निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहती है। आवासन और शहरी विकास मंत्रालय ने सिटी फाइनेंस रैंकिंग-2022 के लिए सोमवार को एक पोर्टल लॅांच किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शहरों और नगरीय निकायों की आर्थिक सेहत कैसी है और उन्होंने अपने वित्तीय प्रदर्शन में कितना-कैसा सुधार किया है, इसे सबके सामने लाने के लिए उनके बीच रैंकिंग की एक प्रतियोगिता होगी।
शहरी विकास के लिहाज से यह पहल इसलिए अहम है, क्योंकि केंद्र सरकार शहरी विकास की अपनी तमाम योजनाओं को निकायों के वित्तीय प्रदर्शन तथा उनमें सेवाओं को लेकर सुधार के स्तर से जोड़ने की राह पर चल रही है।
सिटी फाइनेंस रैंकिंग-2022 के लिए एक पोर्टल लॉन्च
इस साल के बजट में भी इसका संकेत दिया गया था कि केंद्र सरकार निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहती है और उनसे प्रापर्टी टैक्स के ढांचे में सुधार की अपेक्षा की गई थी। आवासन और शहरी विकास मंत्रालय ने सिटी फाइनेंस रैंकिंग-2022 के लिए सोमवार को एक पोर्टल लॉन्च किया।
पूरी तरह डिजिटल यानी सौ प्रतिशत पेपरलेस इस प्रक्रिया के तहत पूरे देश के शहरी स्थानीय निकायों को अपने वित्तीय माडल और सुधारों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।
इसके आधार पर उनका आकलन होगा और प्रदर्शन के आधार पर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। शहरी स्थानीय निकायों को केंद्रीय सहायता अब कुछ शर्तों पर आधारित है, जिनमें सेवाओं में सुधार भी शामिल है। वास्तव में शहर अपने ढांचे में इसलिए जरूरी सुधार नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि वे आत्मनिर्भरता से कोसों दूर हैं और ज्यादातर केंद्र और राज्य सरकारों के अनुदान पर आश्रित हैं।
शहरों की होगी चार श्रेणियां
सिटी फाइनेंस रैंकिंग के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनमें 15 संकेतकों के आधार पर निकायों के आर्थिक परिदृश्य को जांचा जाएगा। ये संकेतक मुख्य रूप से तीन मानदंडों-अपने संसाधनों का इस्तेमाल, व्यय प्रदर्शन और वित्तीय शासन पर आधारित हैं।
शहरों की चार श्रेणियां होंगी-
चालीस लाख से अधिक आबादी, दस से चालीस लाख, एक से दस लाख और एक लाख से कम आबादी वाले नगर। शहरों की रैंकिंग इन्हीं चार कसौटी पर होगी।
हर श्रेणी के पहले तीन शहरों का चयन किया जाएगा और उन्हें एक मॉडल के रूप में राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा। शहर 31 मई तक इस रैंकिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं।
क्या है असली दिक्कत
इस रैंकिंग और निकायों के वित्तीय रिकार्ड के आधार पर नीति-नियंताओं को शहरी विकास की योजनाएं बनाने में मदद मिल सकती है, लेकिन स्थिति यह है कि शहरी स्थानीय निकाय अपने प्रदर्शन और वित्तीय स्थिति का रिकार्ड बताने में भी संकोच करते रहे हैं।
इसकी एक झलक इससे मिलती है कि सर्विस लेवल बेंचमार्क परफार्मेंस के लिए साल 2020-21 के दौरान 2127 नगर निकायों में से केवल 159 ने अपना डाटा प्रस्तुत किया, जो केवल सात प्रतिशत है, जबकि 2494 टाउन पंचायतों में से केवल 22 ने अपना डाटा दिया। 254 नगर निगमों में 17 ने सेवाओं की कसौटी पर अपना डाटा साझा किया। यही हाल राजस्व के मोर्चे पर प्रदर्शन का रहा। बमुश्किल 33 प्रतिशत शहरी स्थानीय निकायों ने 2020-21 में अपने वित्तीय प्रदर्शन का ब्यौरा दिया है।