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किसानों की दशा सुधारने की तैयारी, रकबा के बजाय उत्पादकता बढ़ाने पर होगा जोर

मेड़ पर पेड़ लगाने की जैसी कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करने को कहा गया, ताकि किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सके।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 08:07 PM (IST)
किसानों की दशा सुधारने की तैयारी, रकबा के बजाय उत्पादकता बढ़ाने पर होगा जोर
किसानों की दशा सुधारने की तैयारी, रकबा के बजाय उत्पादकता बढ़ाने पर होगा जोर

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आगामी रबी सीजन में खेती का रकबा बढ़ाने के बजाय फसलों की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर होगा। अक्टूबर से शुरु हो रहे नये फसल वर्ष में 28.5 करोड़ टन की कुल पैदावार का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। केंद्र के साथ मिलकर राज्यों ने प्रधानमंत्री आय संरक्षण योजना पर संयुक्त रूप से अमल करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए पंरपरागत खेती के साथ मंडी सुधार पर बल देने, मेड़ पर पेड़ जैसी योजना और उपज की सरकारी खरीद को सुनिश्चित करने पर गंभीरता से विचार विमर्श किया गया।

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रबी सीजन तैयारी सम्मेलन के पहले दिन केंद्रीय कृषि आयुक्त डॉक्टर सुरेश मल्होत्रा ने सभी राज्यों के समक्ष विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। राज्यों की तैयारियों और उनकी जरूरतों को समय से पूरा करने का भरोसा दिया। राज्यों की सहमति के आधार पर आगामी फसल वर्ष 2018-19 में फसलों का कुल उत्पादन का लक्ष्य पिछले फसल वर्ष की पैदावार के बराबर ही रखा गया है।

सरकार के कृषि व खाद्य क्षेत्र के नीति नियामकों का मानना है कि अतिरिक्त पैदावार हो जाने से बाजार का समर्थन नहीं मिल पाता है, जिससे किसानों को घाटा उठाना पड़ता है। बाजार की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने के लिहाज से कृषि क्षेत्र की रणनीति बनाई जाएगी। इसीलिए यह तय किया गया कि किसी भी फसल का रकबा बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाना उचित नहीं होगा, बल्कि फसलों की उत्पादकता से इस लक्ष्य को हासिल किया जाएगा।

मानसून सीजन की अच्छी बारिश से जमीन में पर्याप्त नमी का लाभ उठाने की जरूरत पर बल दिया गया। देश के प्रमुख 91 जलाशय लबालब भरे हुए हैं, जो सालभर खेती के लिए पर्याप्त हैं। रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं के साथ तिलहन की फसलों के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे खाद्य तेलों की आयात निर्भरता को कम किया जा सके। दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में संतोषजनक वृद्धि होने से चना की खेती को पहले ही बढ़ावा मिल रहा है।

कृषि आयुक्त डॉक्टर मल्होत्रा ने अपनी प्रस्तुति में धान की खेती के बाद परती छोड़ दिये जाने वाले खेतों में दलहन व तिलहन की खेती का ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि पिछले साल जहां ऐसे परती छोड़ दिये जाने वाले नौ लाख हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन में दलहन की खेती की गई थी, उसे इस बार बढ़ाकर 20 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। इसके लिए संबंधित सभी पूर्वी राज्यों को पर्याप्त मदद मुहैया कराने का बंदोबस्त किया गया है।

'मेड़ पर पेड़' लगाने की जैसी कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करने को कहा गया, ताकि किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सके। कृषि क्षेत्र में सुधार के जिन उपायों को लागू करने के लिए केंद्र ने मॉडल कानून राज्यों को भेजा, उसे समय से लागू करने की हिदायत दी गई। किसानों की आमदनी बढ़ाने वाले उद्यम को मदद देने का निर्देश दिया गया। 


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