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राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन की तैयारी, वाहनों को रीकॉल करने का होगा अधिकार

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड अथवा नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव पिछले वर्ष संसद से पारित मोटर संशोधन विधेयक 2019 में किया गया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 08:20 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 08:20 PM (IST)
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन की तैयारी, वाहनों को रीकॉल करने का होगा अधिकार
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन की तैयारी, वाहनों को रीकॉल करने का होगा अधिकार

संजय सिंह, नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन शीघ्र ही होने वाला है। इसके लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें केंद्रीय मोटर नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। सड़क मंत्रालय ने इस बारे में जनता से एक महीने के भीतर सुझाव देने को कहा है। अधिसूचना के मुताबिक केवल केंद्र और राज्य सरकारों के रिटायर्ड नौकरशाह ही इसके अध्यक्ष या सदस्य हो सकते हैं। बोर्ड के पास अन्य अधिकारों के साथ खतरनाक वाहनों को रीकॉल करने व सुरक्षा उपकरणों की लागत तय करने का अधिकार होगा।

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नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा 7 सदस्य होंगे

मसौदा अधिसूचना के अनुसार नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा कम से कम 3 और अधिक से अधिक 7 सदस्य हो सकते हैं। मगर ये सब सरकार से रिटायर लोग ही होंगे। केंद्र सरकार के सचिव पद से रिटायर कोई भी अफसर अध्यक्ष, जबकि केंद्र या राज्य किसी में भी अतिरिक्त सचिव पद से सेवानिवृत्त व्यक्ति सदस्य हो सकता है।

 55 की उम्र व 20 वर्ष के अनुभव वाला अफसर चेयरमैन होगा

प्रस्ताव के अनुसार 55 की उम्र व 20 वर्ष के अनुभव वाला अफसर चेयरमैन व 45 की उम्र व 20 वर्ष के अनुभव वाला अफसर मेंबर हो सकता है। तीन वर्ष के कार्यकाल के साथ चेयरमैन को 65 तथा मेंबर को 62 की उम्र में बोर्ड से हटना होगा। सेवा समाप्ति के एक साल बाद तक इन्हें बोर्ड से जुड़ा किसी भी तरह का काम करने की अनुमति नहीं होगी।

सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं पर बोर्ड केंद्र व राज्य सरकारों को सलाह देगा

बोर्ड का मुख्य कार्य सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं पर केंद्र व राज्य सरकारों को सलाह देने का होगा। इनमें दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सड़कों और वाहनों के डिजाइन में सुधार के सुझाव, यातायात को सुगम व निर्बाध बनाने के उपाय, यातायात प्रबंधन, वाहनों के मानक, वाहनों का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसिंग, रोड साइन और संकेतकों के मानक, सड़क व फुटपाथ में निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री व तकनीकी के मानक, नए वाहनों तथा ईधनों की प्रौद्योगिकी तथा उसे प्रोत्साहन के लिए जरूरी उपायों के बारे में सलाह देना शामिल है।

बोर्ड की सबसे बड़ी ताकत खतरनाक वाहनों तथा सुरक्षा उपकरणों को रीकॉल करने की है

बोर्ड की सबसे बड़ी ताकत सड़क सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक वाहनों तथा सुरक्षा उपकरणों को रीकॉल करने या बाजार से वापस लेने की होगी। इसके अलावा उसे सड़क हादसों की जांच रिपोर्टो का विश्लेषण कर भविष्य की योजनाएं तैयार करनी होंगी। बोर्ड को सुरक्षा उपकरणों की लागत तय करने का भी अधिकार होगा।

बोर्ड घायलों के लिए ट्रामा सुविधाओं की स्थापना के मानक तय करेगा

इसके अलावा बोर्ड घायलों के लिए ट्रामा सुविधाओं की स्थापना के मानक तय करेगा तथा परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच सामंजस्य के उपाय बताएगा। ट्रांसपोर्ट व्यवस्था के अलावा पुलिस, डाक्टरों, इंजीनियरों तथा शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों के लिए सड़क सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देश तैयार करने की जिम्मेदारी भी बोर्ड की होगी। अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ भारत के तकनीकी मानकों को अद्यतन करने का दायित्व भी उसे निभाना होगा।

सड़क सुरक्षा की कमान सरकारी बाबुओं के हाथ में ही रहेगी

बोर्ड गठन को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सड़क सुरक्षा की कमान सरकारी बाबुओं के हाथ में ही रहेगी। जबकि इन्हीं की लापरवाही व सुस्ती के कारण देश में सड़क सुरक्षा का बेड़ा गर्क हुआ है और हर साल पांच लाख मोटर हादसों के साथ डेढ़ लाख मौतें हो रही हैं। इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के एसपी सिंह के मुताबिक यदि अफसरों ने मोटर एक्ट और नियमों को ठीक से लागू किया होता तो सड़क सुरक्षा पर भारत को फजीहत का सामना न करना पड़ता। आखिर क्या वजह है कि निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए बोर्ड कोई जगह नहीं छोड़ी गई है।

नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड का गठन संसद से पारित मोटर संशोधन विधेयक में किया गया था

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड अथवा नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव पिछले वर्ष संसद से पारित मोटर संशोधन विधेयक, 2019 में किया गया था। इससे पहले यूपीए सरकार ने बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर 2010 में मोटर एक्ट से इतर नेशनल रोड सेफ्टी एंड ट्रैफिक मैनेजमेंट बिल लाने का प्रस्ताव किया था। लेकिन उसे आगे नहीं बढ़ा सकी थी।


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