प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति कार्यकाल में 18 राज्य बिलों को नहीं दी मंजूरी
गृह मंत्रालय के पास इस संबंध में उपलब्ध आंकड़ों से यह पता चला है। ज्यादातर बिल संबंधित एसेंबली के पास वापस भेज दिए गए।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति के तौर पर अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान प्रणब मुखर्जी ने 18 राज्य बिलों को मंजूरी नहीं दी। मगर नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए कोई भी दया याचिका लंबित नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गृह मंत्रालय के पास इस संबंध में उपलब्ध आंकड़े यह बयां कर रहे हैं। प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में 30 दया याचिकाओं को खारिज किया था। इनमें याकुब मेमन, अजमल कसाब और अफजल गुरू की याचिकाएं भी शामिल हैं।
प्रणब मुखर्जी ने जिन 18 बिलों को मंजूरी नहीं दी, उनमें ज्यादातर ऐसे बिल शामिल हैं जिनको लेकर केंद्र और राज्य दोनों ने नियम बनाए। इनमें से 15 बिल राष्ट्रपति के सचिव द्वारा बदलाव सुझाव के संदेश के साथ संबंधित एसेंबली के पास वापस भेज दिए गए।
गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी की जगह रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को देश के 14वें राष्ट्रपति के तौपर पर शपथ ली। इस दौरान संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। चीफ जस्टिस ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण से पहले कोविंद ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनकी पत्नी भी मौजूद थीं।
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