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'संघ मुख्यालय जा चुके हैं गांधी और जेपी, प्रणब का जाना आश्चर्यजनक नहीं'

संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने मंगलवार को बताया कि जो लोग संघ को जानते-समझते हैं, उनके लिए यह नई बात नहीं है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 29 May 2018 10:56 PM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 06:46 AM (IST)
'संघ मुख्यालय जा चुके हैं गांधी और जेपी, प्रणब का जाना आश्चर्यजनक नहीं'
'संघ मुख्यालय जा चुके हैं गांधी और जेपी, प्रणब का जाना आश्चर्यजनक नहीं'

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय में आने के न्योते को बेवजह तूल दिए जाने पर कहा कि उनसे बहुत पहले महात्मा गांधी, पूर्व उप राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण (जेपी) और जनरल करियप्पा भी संघ मुख्यालय में आ चुके हैं।

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संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने मंगलवार को बताया कि जो लोग संघ को जानते-समझते हैं, उनके लिए यह नई बात नहीं है। क्योंकि संघ अपने कार्यक्रमों में समाज सेवा में सक्रिय और प्रमुख लोगों को अतिथि के रूप में बुलाता रहा है। इस बार संघ ने डॉ. प्रणब मुखर्जी को निमंत्रण दिया और यह उनकी महानता है कि उन्होंने उसे स्वीकार किया।

उन्होंने बताया कि 1934 में तो महात्मा गांधी स्वयं वर्धा में संघ के शिविर में आये थे। अगले दिन संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार उनसे भेंट करने उनकी कुटिया में गए थे और उनकी संघ पर विस्तृत चर्चा हुई थी। इसका उल्लेख गांधी जी ने 16 सितंबर, 1947 की सुबह दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए किया है। उसमें उन्होंने संघ के अनुशासन, सादगी और समरसता की प्रशंसा की थी। गांधी जी ने कहा था, 'बरसों पहले मैं वर्धा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक शिविर में गया था। उस समय इसके संस्थापक हेडगेवार जीवित थे। जमनालाल बजाज मुझे शिविर में ले गये थे और वहां मैं उन लोगों का कड़ा अनुशासन, सादगी और छुआछूत की पूर्ण समाप्ति देखकर अत्यन्त प्रभावित हुआ था।' आगे वे कहते हैं, 'संघ एक सुसंगठित, अनुशासित संस्था है।' यह उल्लेख 'सम्पूर्ण गांधी वांग्मय' खण्ड 89, पृष्ठ संख्या 215-217 में है।

उन्होंने बताया कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, बाबू जयप्रकाश नारायण भी संघ के आमंत्रण पर आ चुके हैं और उन्होंने संघ की प्रशंसा की है। जनरल करियप्पा 1959 में मंगलोर की संघ शाखा के कार्यक्रम में आये थे। वहां उन्होंने कहा था, 'संघ का कार्य मुझे अपने हृदय से प्रिय कायरें में से एक लगता है। अगर कोई मुस्लिम इस्लाम की प्रशंसा कर सकता है, तो संघ के हिंदुत्व का अभिमान रखने में गलत क्या है? प्रिय युवा मित्रों, आप किसी भी गलत प्रचार से हतोत्साहित न होते हुए कार्य करो। डॉ. हेडगेवार ने आप के सामने एक स्वार्थरहित कार्य का पवित्र आदर्श रखा है। उसी पर आगे बढ़ो। भारत को आज आप जैसे सेवाभावी कार्यकर्ताओं की ही आवश्यकता है।'

इसी तरह, 1962 में भारत पर चीन के आक्रमण के समय संघ के स्वयंसेवकों की सेवा से प्रभावित होकर ही 1963 की गणतंत्र दिवस की परेड में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संघ को आमंत्रित किया था और तीन हजार स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया था। संघ की 'राष्ट्र प्रथम' भावना के कारण ही 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने संघ के सरसंघचालक 'गुरूजी' को सर्वदलीय बैठक में आमंत्रित किया था और वे गए भी थे।


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