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विवादित ढांचे को लेकर प्रकाश जावडेकर बोले, 6 दिसंबर 1992 को ऐतिहासिक गलती को किया गया ठीक

जावडेकर ने कहा जब बाबर जैसे विदेशी आक्रांता भारत आए तो उन्होंने राम मंदिर ढहाना क्यों चुना? क्योंकि वे जानते थे कि देश की आत्मा राम मंदिर में बसती है। उन्होंने वहां एक विवादित ढांचा बनाया जो मस्जिद नहीं थी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 06:42 AM (IST)
विवादित ढांचे को लेकर प्रकाश जावडेकर बोले, 6 दिसंबर 1992 को ऐतिहासिक गलती को किया गया ठीक
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की फाइल फोटो

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि विदेशी आक्रांताओं ने राम मंदिर को इसलिए तोड़ा, क्योंकि वे जानते थे कि भारत की आत्मा वहीं बसती है। लेकिन 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाकर इतिहास की वह गलती सुधार ली गई।

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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निधि समर्पण अभियान में दान देने वालों को सम्मानित करने के लिए रविवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में जावडेकर ने कहा, 'जब बाबर जैसे विदेशी आक्रांता भारत आए तो उन्होंने राम मंदिर ढहाना क्यों चुना? क्योंकि वे जानते थे कि देश की आत्मा राम मंदिर में बसती है। उन्होंने वहां एक विवादित ढांचा बनाया, जो मस्जिद नहीं थी। जहां नमाज नहीं पढ़ी जाती, वह मस्जिद नहीं होती। 6 दिसंबर, 1992 को वह गलती खत्म हो गई।'

उस समय मैं भारतीय जनता युवा मोर्चा के लिए कर रहा था काम: जावडेकर

उन्होंने कहा, 'मैं 6 दिसंबर, 1992 को इतिहास बनने का गवाह था। उस समय मैं भारतीय जनता युवा मोर्चा के लिए काम कर रहा था। मैं बतौर एक कारसेवक अयोध्या में था। वहां लाखों कारसेवक थे। एक रात पहले मैं उस परिसर में सोया था और तीन गुंबद देख सकते थे। अगले दिन देश ने देखा कि किस प्रकार से इतिहास की गलती सुधारी गई।'

उन्होंने कहा कि सभी देश आक्रांताओं के निशान मिटा रहे हैं। हमने भी यहां कई जगहों के नाम बदले हैं, जो देश के आत्मसम्मान का हिस्सा बन गए हैं।

मंदिर निर्माण के लिए दान देने का करें आग्रह

उन्होंने लोगों से कहा कि देश में सभी घरों में जाकर अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए दान देने का आग्रह करें। उन्होंने कहा, 'यदि हम राम मंदिर निर्माण के लिए लोगों से मदद मांगेंगे तो वे खुशी से दान देंगे। हमें हर घर पहुंचना है। लोग 10 रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक दे रहे हैं। कुछ तो इससे भी बढ़कर दान दे रहे हैं।'


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