International yoga day: पावर योगा की पावर, शरीर तनावमुक्त और एकाग्रता का बढ़ना
इस योगा के करने से शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है। शरीर के प्रत्येक अंग को रक्त की समुचित आपूर्ति होती है।
[विवेक शुक्ला]। ‘पावर योगा और कुछ नहीं, बल्कि भारत के प्राचीन अष्टांग योग का अमेरिकन एथलेटिक स्टाइल है।’ यह कहना है दिल्ली-एनसीआर के योगाचार्य गीताकृष्णन का। सच तो यह है कि योग का यह पाश्चात्य या अमेरिकन संस्करण दुनियाभर में खासकर युवावर्ग में काफी लोकप्रिय हो चुका है। इसके अलावा सेलेब्रिटीज के मध्य भी पावर योगा काफी लोकप्रिय है। यहीं नहीं जो लोग अपने बढ़े हुए वजन को कम करना चाहते हैं, उनके मध्य भी योग का यह परिवर्तित रूप काफी लोकप्रिय है।
ऐसे हुई शुरुआत
1990 के दशक में अमेरिका में बेरिल बेंडर वर्क और ब्राएन केस्ट ने पावर योगा की शुरुआत की थी। अब इसे संयोग ही कहें कि इन दोनों अमेरिकन पावर योगा गुरुओं ने भारत के अष्टांग योग विशेषज्ञ पट्टाभि जॉइस से शिक्षा- प्रशिक्षण हासिल किया था।
अष्टांग योग और पावर योग में फर्क
योग विशेषज्ञों के एक वर्ग का कहना है कि पावर योग की उत्पत्ति अष्टांग योग से ही हुई है। गीता कृष्णन के अनुसार भारतीय योग के कुछ विशिष्ट योगासनों और सूर्य नमस्कार के 12 स्टेप्स को मिलाकर पावर योग निर्मित किया गया है। वहीं योग विशेषज्ञ हरीश मोहन का कहना है कि पावर योगा की अष्टांग योग से ही उत्पत्ति हुई है, लेकिन पावर योगा अष्टांग योग नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अष्टांग योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार (इंद्रियों पर नियंत्रण), धारणा ध्यान और समाधि को शामिल किया जाता है। जबकि पावर योग में सिर्फ कुछ विशिष्ट श्रमसाध्य आसनों को ही शामिल किया जाता है।
आयुर्वेद के अतिरिक्त योग की भी जानकारी रखने वाले डॉ. प्रताप चौहान कहते हैं कि पावर का मतलब है शक्ति या ताकत। पावर योग में आसन ही किए जाते हैं, लेकिन उन्हें शक्ति और स्पीड के साथ अंजाम दिया जाता है। अष्टांग योग के आसन धीरे-धीरे किए जाते हैं और इनमें सांस-प्रश्वास की प्रक्रिया पर भी ध्यान दिया जाता है, दो आसनों के मध्य शवासन भी कर सकते हैं, लेकिन पावर योगा के साथ ऐसी बात नहीं। इस योगा के आसनों को तेजी से किया जाता है। पावर योगा के आसन कहींज्यादा श्रमसाध्य होते हैं। वहीं गीताकृष्णन के अनुसार पावर योगा वर्क आउट जैसा है। इसमें किए जाने वाले आसनों में शारीरिक श्रम पर अधिक जोर दिया जाता है।
शरीर के शेप के अनुसार एक्सरसाइज
हरीश मोहन के अनुसार पावर योगा में किसी व्यक्ति की बॉडी के अनुसार ही इंस्ट्रक्टर अमुक व्यक्ति को एक्सरसाइज की टिप्स समझाते हैं। पावर योगा में सामान्यत: लोगों की बॉडी के चार आकार (शेप) शुमार किए जाते हैं। पहला, पियर शेप, एप्पल शेप, नॉमल शेप और ट्यूब शेप। ट्यूब शेप को जीरो फिगर भी कहा जाता है। हरेक शेप के लिए अलग-अलग प्रकार के योगासन होते हैं।
कितने वक्त करें
योग विशेषज्ञ गीताकृष्णन के अनुसार पावर योगा सप्ताह में तीन बार 45 मिनट तक किया जा सकता है। अगर आप बढ़े हुए वजन को कम करने के लिए पावर योगा करना चाहते हैं तो फिर अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
सेहत के लिए लाभप्रद
वैसे तो अष्टांग योग के सभी आसनों के अपनेअपने लाभ हैं, उसी तरह पावर योगा से संबंधित आसनों और पोस्चर्स के भी अनेक लाभ हैं। शरीर सुडौल बनाए शरीर को सुडौल बनाने और इस पर संचित अतिरिक्त वसा को कम करने में पावर योगा विशेष रूप से लाभप्रद है। यह कहना है गीता कृष्णन का। उनके अनुसार साधारण योग की तुलना में पावर योगा में शारीरिक परिश्रम अधिक करना पड़ता है। चूंकि पावर योगा के आसन व पोस्चर्स को स्पीड के साथ अंजाम दिया जाता है। इस कारण पसीना अधिक निकलता है और शरीर में संचित अतिरिक्त वसा कहींज्यादा बर्न होती है।
सशक्त रोग प्रतिरोधक क्षमता
इस योगा के करने से शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है। शरीर के प्रत्येक अंग को रक्त की समुचित आपूर्ति होती है। इस कारण वे सशक्त होकर अच्छी तरह कार्य करते हैं और शरीर की रोग- प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
तनाव आए काबू में
पावर योगा करने से तनाव कम होता है। शरीर से अतिरिक्त पसीना निकलने से देह को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं, जिससे आपका शरीर तनावमुक्त हो जाता है और एकाग्रता बढ़ जाती है। पावर योगा सोलह से तीस साल तक के युवक और युवतियों के लिए कुछ ज्यादा ही उपयुक्त रहता है।
सावधानियां
योगाचार्य हरीश मोहन के अनुसार हृदय रोगियों और हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को पावर योगा नहीं करना चाहिए। इसी तरह गर्भवती महिलाओं को इस योगा को नहीं करना चाहिए। प्रताप चौहान के अनुसार यह योगा पहले से ही शारीरिक तौर पर स्वस्थ लोगों खासकर युवा वर्ग के लिए उपयुक्त है। बुजुर्गों के लिए यह योगा उपयुक्त नहींहै। वहीं गीता कृष्णन के अनुसार जो लोग जिम नहीं जाना चाहते हैं, उनके लिए पावर योगा उपयुक्त है, लेकिन पावर योगा के अंत में शवासन और मेडिटेशन करना चाहिए। कारण यह है कि अधिक परिश्रम वाले इन व्यायामों को करने के बाद थकान ज्यादा महसूस होती है।