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चार दर्जन बिजली संयंत्रों में सात दिनों से भी कम का कोयला

केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो गया, लेकिन देश की बिजली कंपनियों के समक्ष कोयला संकट जस का तस बना हुआ है। सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी के मामले में तो कोयला संकट और गहरा गया है। एनटीपीसी की छह ताप बिजली संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। इसके अलावा देश के चार दर्जन पावर प्लांटों के पास सात दिन से भी कम के लिए कोयला बचा है। कोयला व बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को संसद में कोयला संकट को दूर करने का आश्वासन दिया है।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jul 2014 04:59 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jul 2014 10:17 PM (IST)
चार दर्जन बिजली संयंत्रों में सात दिनों से भी कम का कोयला

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो गया, लेकिन देश की बिजली कंपनियों के समक्ष कोयला संकट जस का तस बना हुआ है। सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी के मामले में तो कोयला संकट और गहरा गया है। एनटीपीसी की छह ताप बिजली संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। इसके अलावा देश के चार दर्जन पावर प्लांटों के पास सात दिन से भी कम के लिए कोयला बचा है। कोयला व बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को संसद में कोयला संकट को दूर करने का आश्वासन दिया है।

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दिन भर बिजली और कोयला मंत्रालय के अफसरों के बीच विचार-विमर्श का दौर चलता रहा। जानकारों का कहना है कि हाल फिलहाल स्थिति में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। वैसे गोयल ने आश्वासन दिया, 'सरकार कोल इंडिया से मिलकर कोयला उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसका नतीजा जल्द दिखेगा।' लेकिन पिछली सरकार के बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल भी कुछ ऐसा ही आश्वासन देते रहे, लेकिन स्थिति बद से बदतर ही होती गई।

गोयल ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि ताप बिजलीघरों को कहा गया है कि वह कोयला आयात पर निर्भरता बढ़ाएं। पर्यावरण मंत्रालय को भी कहा गया है कि वह कोयला खदानों से संबंधित प्रस्तावों को शीघ्रता से आगे बढ़ाए। कोयला खदान वाले राज्यों झारखंड और उड़ीसा से अनुरोध किया गया है कि वे कोयले को गंतव्य स्थल पर पहुंचाने का काम तेज करें। साथ ही केंद्र सरकार ताप बिजलीघरों को उनके प्लांट से नजदीकी कोल ब्लॉक से ही कोयला लिंकेज देने की कोशिश कर रही है। मसलन, गुजरात में कोई प्लांट है, तो उसे महाराष्ट्र या मध्य प्रदेश से कोयला पहुंचाया जाए न कि उड़ीसा और छत्तीसगढ़ से।

बाद में उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि यह स्थिति पिछले पांच वर्षो के दौरान ठोस नीति नहीं बनाने का परिणाम है। गो और नो गो की नीति की वजह से कई कोयला ब्लॉकों में खनन नहीं शुरू हो सका है। गो यानी खनन की अनुमति वाले क्षेत्र और नो गो अर्थात खनन पर प्रतिबंध वाले क्षेत्र बनाने से कोयला संकट बढ़ा है। देश की दिग्गज बिजली कंपनी एनटीपीसी के सीएमडी अरूप राय चौधरी ने कोयला संकट को लेकर हाल ही में बिजली मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है कि बारिश की वजह से कोयले का संकट और गहराएगा। कंपनी के 16,840 मेगावॉट क्षमता के छह संयंत्रों के पास महज दो दिनों का कोयला बचा हुआ है। अगर आपूर्ति में थोड़ी सी बाधा और आती है तो ये संयंत्र बंद हो सकते हैं। इन छह प्लांटों की देश के बिजली उत्पादन में 15 फीसद हिस्सेदारी है। इनसे करीब 17000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है।

खराब हो रहे हालात

-बिजली प्राधिकरण के 15 जुलाई तक के आंकड़ों के तहत कोयला आधारित सौ बिजलीघरों में से 46 के पास 7 दिन से कम का कोयला भंडार। उपरोक्त में से 27 बिजलीघर ऐसे हैं जिनके पास 4 दिन से भी कम का कोयला शेष है।

-2009 में कोयले से बिजली का उत्पादन 77,649 मेगावॉट था जो 2014 में 1 लाख 13 हजार 280 मेगावॉट हो गया। बिजली उत्पादन में 46 फीसद की वृद्धि हुई, लेकिन कोयले का पर्याप्त उत्पादन नहीं।

- 2008-09 में कोयला उत्पादन 342.6 मिलियन टन था जो 2013-14 में 419.6 मिलियन टन ही हो पाया।

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