Move to Jagran APP

Power Crisis: जानें कैसे कोयला स्टाक रखने के नियम ने खड़ा किया था संकट, देश में बना रहा अफरातफरी का माहौल

पिछले दो महीने से चल रहा बिजली संकट काफी हद तक दूर होता दिख रहा है लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या ताप बिजली संयंत्रों के लिए कोयला स्टाक रखने संबंधी नए नियमों के चलते कई संयंत्रों में संकट खड़ा हुआ था जबकि कोयले की कमी नहीं थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 11 May 2022 09:19 PM (IST)Updated: Thu, 12 May 2022 06:11 AM (IST)
Power Crisis: जानें कैसे कोयला स्टाक रखने के नियम ने खड़ा किया था संकट, देश में बना रहा अफरातफरी का माहौल
बिजली संकट काफी हद तक दूर होता दिख रहा है

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। देश में पिछले दो महीने से चल रहा बिजली संकट काफी हद तक दूर होता दिख रहा है, लेकिन अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या ताप बिजली संयंत्रों के लिए कोयला स्टाक रखने संबंधी बिजली मंत्रालय के नए नियमों के चलते कई संयंत्रों में संकट खड़ा हुआ था। जबकि कोयले की कमी नहीं थी। बिजली मंत्रालय ने नवंबर, 2021 में घरेलू कोयले पर आधारित ताप बिजली घरों के लिए 17 दिनों से 26 दिनों तक का कोयला स्टाक रखने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था।

prime article banner

अभी इनके पास दो करोड़ टन कोयला है जो नौ दिनों के लिए पर्याप्त

यह अवधि उस समय कोयला स्टाक रखने की व्यवस्था से दोगुनी थी। जबकि हकीकत यह है कि देश के ताप बिजली घरों के पास इतनी ज्यादा मात्रा में कोयला रखने की क्षमता नहीं है। इस क्षमता के मुताबिक घरेलू कोयला पर आधारित बिजली संयंत्रों के पास छह करोड़ टन कोयला रहना चाहिए, जबकि पूर्व में इन संयंत्रों ने एक समय में अधिकतम 4.5 करोड़ टन कोयला ही स्टाक किया था। अभी इनके पास दो करोड़ टन कोयला है जो नौ दिनों के लिए पर्याप्त है।

अधिकांश संयंत्रों के पास इतना ज्यादा कोयला स्टाक रखने की क्षमता ही नहीं

उच्चपदस्थ अधिकारियों का कहना है कि बिजली मंत्रालय के इस नियम की वजह से यह संदेश चला गया कि बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इस वजह से अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जबकि आज की तारीख में बिजली संयंत्रों के पास 2.02 करोड़ टन कोयला है, जो नौ दिनों के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा 6.7 करोड़ टन कोयला आपूर्ति के विभिन्न चरणों में हैं।

बिजली मंत्रालय कोयला स्टाक रखने के नियम में कई बार बदलाव कर चुका है। इसके पहले नवंबर, 2020 में बिजली मंत्रालय ने स्वयं अधिकतम कोयला रखने के नियम में ढिलाई दी थी क्योंकि तब बिजली संयंत्रों के पास कोयले की मांग नहीं थी। नए नियम में यह आधार बनाया गया कि ताप बिजली संयंत्र अपनी क्षमता का 85 प्रतिशत का उपयोग (पीएलएफ-प्लांट लोड फैक्टर) उपयोग करते हैं। जबकि बहुत ज्यादा मांग होने के बावजूद देश के अधिकांश पावर प्लांट 65 प्रतिशत पीएलएफ पर काम करते हैं।

बिजली संयंत्रों पर बना एक महीने का स्टाक रखने का दबाव

बिजली मंत्रालय के नियम के मुताबिक कोयला खदानों के करीब स्थित ताप बिजली घरों के पास कम से कम 17 दिनों का कोयला स्टाक रहना चाहिए। जबकि कोयला खदानों से दूरी के हिसाब से दूसरे संयंत्रों के पास 24 से 26 दिनों का कोयला स्टाक चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि बिजली संयंत्रों पर अगले एक महीने का कोयला स्टाक रखने का दबाव बन गया है। इस नियम के मुताबिक उस प्लांट को गंभीर कमी वाली श्रेणी में रखा जाएगा जिसके पास जरूरत (17 से 26 दिन) का एक चौथाई दिन का कोयला बचा हो। यानी अगर किसी प्लांट को 26 दिनों के लिए कोयला स्टाक रखना था और उसके पास सात दिनों का कोयला बचा था तो उसे क्रिटिकल स्टेज में रखा जाएगा।

बिजली मंत्रालय का तर्क है कि यह नियम देश में कोयले की ढुलाई में लगने वाले समय और स्टाक क्षमता बढ़ाने के हिसाब से उठाया गया है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक घरेलू कोयला से बिजली बनाने वाले 150 ताप बिजली संयंत्रों में से 52 के पास कोयला स्टाक क्रिटिकल स्थिति में है। लेकिन बिजली घरों को लगातार कोयला सप्लाई होते रहती है। इसलिए दो-तीन दिनों के स्टाक वाले प्लांट भी लगातार चलते रहते हैं, वो बंद नहीं होते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.