अदालती प्रक्रिया में स्थगन कठोर सच्चाई : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि हम सीआरपीसी का पालन करें तो सबकुछ आसान हो जाएगा। लेकिन जमीनी स्तर पर हालत भिन्न है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के दौरान स्थगन के कारण गवाह को अपना बयान दर्ज कराने के लिए बार-बार अदालत आना पड़ता है। यह एक कठोर सच्चाई है। यदि आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों का उचित तरीके से पालन हो तो सभी चीजें आसान हो जाएंगी।
जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने जेलों की स्थिति से संबंधित मामले पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इसी वर्ष जून में फरीदाबाद जेल और एक आब्जर्वेशन होम का दौरा करने के बाद शीर्ष कोर्ट के दो जजों ने जेलों की स्थिति को उजागर किया है। इनमें से एक न्यायाधीश अब रिटायर हो चुके हैं।
पीठ ने कहा, 'अदालत आने से गवाह परेशान हैं। बुनियादी स्तर पर यह कठोर सच्चाई है। यदि हम सीआरपीसी का पालन करें तो सबकुछ आसान हो जाएगा। लेकिन जमीनी स्तर पर हालत भिन्न है।'
सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार, शीर्ष कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस अमिताभ राय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। यह समिति देश में जेल सुधार से संबंधित मुद्दों की देखभाल करने के लिए गठित की गई है।
इस मामले में अदालत मित्र वकील गौरव अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि फरीदाबाद जेल और आब्जर्वेशन होम का दौरा करने वाले जजों ने 14 बिंदुओं को उजागर किया है। इनमें कुछ बिंदुओं को नवनियुक्त समिति को भेजा जा सकता है। जब ट्रायल कोर्ट में गवाहों से जिरह नहीं करने का मुद्दा उठाया गया तो पीठ ने पूछा, 'यदि गवाह से जिरह नहीं की गई तो हम न्यायिक आदेश कैसे पारित करेंगे?' जस्टिस (रिटायर) एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित ने फरीदाबाद जेल का दौरा किया था।