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आदिवासियों की गरीबी दूर कर रहे बस्तर के कड़कनाथ

बस्तर जिले में अनेक महिलाएं कर रहीं कड़कनाथ कुक्कुट पालन, साढ़े सात सौ रुपए किलो है कड़कनाथ का दाम

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 03 Jan 2018 09:11 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jan 2018 09:11 AM (IST)
आदिवासियों की गरीबी दूर कर रहे बस्तर के कड़कनाथ
आदिवासियों की गरीबी दूर कर रहे बस्तर के कड़कनाथ

दंतेवाड़ा (योगेंद्र ठाकुर)। बस्तर संभाग में पाया जाने वाला विशेष प्रजाति का मुर्गा कड़कनाथ अब यहां के आदिवासियों की रोजी-रोटी का अहम साधन बनता जा रहा है। भले ही इसका दाम साढ़े सात सौ रुपए किलो है, लेकिन काले रंग के इस मुर्गे की मांग देश के कोने-कोने तक है। इसके मांस का स्वाद ही ऐसा है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके जरिये आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना पर अमर शुरू कर दिया है। बस्तर जिले में अब इसका पालन व्यापक पैमाने पर किया जाने लगा है। 

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क्यों डिमांड में हैं कड़कनाथ 

कड़कनाथ खास तौर पर बस्तर इलाके में पाया जाता है। इसका रंग काला होता है और मांस भी। यहां तक की रक्त भी काला ही होता है। आम तौर पर यह वजनी होता है। अन्य देसी व पोल्ट्री फार्म के मुर्गों से यह बहुत अलग होता है। गर्दन और टांग मोटी होती है। इन खूबियों की वजह से ही इसकी मांग बढ़ती जा रही है। बस्तर जिला प्रशासन हीरानार में कड़कनाथ हब विकसित कर रहा है। आदिवासी महिलाएं यहां कुक्कुट पालन का जिम्मा लेकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।

विदेश में भी निर्यात

कड़कनाथ के लजीज स्वाद की खुशबू विदेश तक भी पहुंच चुकी है। वहीं, हैदराबाद में इसकी बड़ी मांग है। 750 रुपए किलो की दर से हैदराबाद की एक कंपनी को डेढ़ क्विंटल से अधिक मुर्गे-मुर्गियों की पूर्ति यहां से की जा रही है। यह कंपनी कड़कनाथ मांस की पैकेजिंग कर इसे ठंडे देशों में निर्यात कर रही है। विशेष डिमांड पर कड़कनाथ के अंडे 50 रुपए प्रति नग में भी बिक रहे हैं।

आदिवासी महिलाएं जुड़ रहीं इस काम से

दंतेवाड़ा की आदिवासी महिलाएं गीदम ब्लॉक के ग्राम हीरानार में एक साथ कड़कनाथ के 10 पोल्ट्री फार्म यूनिट को तैयार कर चुकी हैं। करीब 100 महिलाओं का समूह प्रशासन से अनुदान लेकर कड़कनाथ कुक्कुट पालन कर रहा है। यही नहीं, हीरानार सहित जिले के 21 महिला स्व-सहायता समूहों सहित 73 किसान कडक़नाथ कुक्कुट पालन कर रहे हैं।

बढ़ रही आत्मनिर्भरता 

गीदम के हीरानार की महिला स्व- सहायता समूह की चंपा नाग बताती हैं कि अब तक एक लाख रुपए के कड़कनाथ कुक्कुट बेच चुकी हैं। उनका कहना है कि अब हमें और ज्यादा मेहनत करनी होगी। जैविक खेती को भी बढ़ावा देना है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र और पशुपालन विभाग की सहायता ले रही हैं। इसी तरह दंतेवाड़ा ब्लाक के टेकनार निवासी देवरी नाग ने कड़कनाथ मुर्गे बेचकर करीब सवा लाख रुपए कमाए हैं। महिलाओं के रुझान को देख कर प्रशासन भी उत्साहित है। पशुपालन विभाग तथा कृषि विज्ञान केंद्र के साथ मिलकर संसाधन उपलब्ध करा रहा है।

विजन डाक्यूमेंट 2022 के तहत प्रयास

दंतेवाड़ा के जिलाधिकारी सौरभ कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशानुरूप जिले में विजन डाक्यूमेंट 2022 तैयार किया गया है। इसमें किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य है। इसके लिए जिले में पशुपालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दिशा में कडक़नाथ कुक्कुट पालन के लिए महिला स्वसहायता समूहों तथा हितग्राहियों को अनुदान दिया जा रहा है। 

महिला स्वसहायता समूहों को 95 प्रतिशत तथा व्यक्तिगत हितग्राहियों को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। शेष राशि हितग्राही का अंशदान होता है। जिला प्रशासन इन्हें विपणन सुविधा उपलब्ध कराने को भी पहल कर रहा है। पालन केंद्रों में ब्रीडिंग यूनिट, हेचिंग यूनिट स्थापित की गई हैं। गीदम ब्लाक के हीरनार तथा दंतेवाड़ा के चितालूर में कड़कनाथ हब बनाया जा रहा है। 

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