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Positive India: हैदराबाद में मजदूरों के लिए ठेकेदार ने कंस्ट्रक्शन साइट पर ही बनाए शेल्टर

ठेकेदार सैय्यद मुनव्वर ने बताया कि अगर ये लोग (मजदूर) स्वस्थ रहेंगे तो अपने लिए खाने का इंतेजाम कर सकेंगे।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 03:26 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 03:26 PM (IST)
Positive India: हैदराबाद में मजदूरों के लिए ठेकेदार ने कंस्ट्रक्शन साइट पर ही बनाए शेल्टर
Positive India: हैदराबाद में मजदूरों के लिए ठेकेदार ने कंस्ट्रक्शन साइट पर ही बनाए शेल्टर

हैदराबाद, एएनआइ। कोरोना वायरस के बढ़ रहे प्रकोप का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है। इस सबके बीच हैदराबाद के एक ठेकेदार ने अपने मजदूरों के लिए कंस्ट्रक्शन साइट पर अस्थाई शेल्टर बनाए हैं। ठकेदार सैय्यद मुनव्वर ने बताया कि अगर ये लोग (मजदूर) स्वस्थ रहेंगे तो अपने लिए खाने का इंतेजाम कर सकेंगे, लेकिन वहीं अगर इन्हें COVID-19 संक्रमण हो जाता है तो उनको ज्यादा हर्जाना भुगतना होगा। हम सभी तरह की सावधानियां बरत रहे हैं।

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बता दें कि देशभर में महामारी के बीच लॉकडाउन लागू कर दिया गया है, जिसके चलते बड़ी संख्या में मजदूर शहर छोड़कर अपने गांवों की तरफ जाने को मजबूर हो गए हैं। हाइवे और सड़कों पर बड़ी संख्या में मजदूरों के पैदल जाने पर महामारी के फैलने का खतरा है तो वहीं केंद्र ने राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वो शहरों में लोगों की आवाजाही ना हो।

इसके अलावा यह भी निर्देश दिए गए हैं कि लॉकडाउन का उल्लंघन कर एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले कम से कम 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाए। इसके साथ यह भी कहा गया है कि खानपान की व्यवस्था भी की जाए और उनके वहां रहने के लिए जरूरी कदम भी उठाए जाएं। लेकिन इस बीच देखा गया है कि प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं।

पैसे खत्म होने पर पैदल ही घर के लिए निकले

लॉकडाउन के बाद कई मजदूर पैदल ही अपने घरों को निकल गए हैं। इन्हीं में चिनाई और बेलदारी का काम करने वाले मोहम्मद आदिल, आमिर, रहमान, नाजिम और सोहेल भी शामिल हैं। ये लोग हरियाणा के पानीपत में चिनाई और बेलदारी का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि ये लोग उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के रहने वाले हैं। पानीपत में ये चारों साथ में रहते हैं। 25 मार्च में 21 दिनों के लिए देशभर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद इन लोगों को काम मिलना बंद हो गया था। मजदूरी के कुछ पैसे बचे थे जिससे इन्होंने तीन दिन का खर्चा चला लिया। फिर जब पैसे खत्म हो गए तो मकान मालिक ने किराया दिए बिना घर में रहने से मना कर दिया। इसके बाद मजबूर होकर उन्हें रात में ही पैदल अपने घर की तरफ निकलना पड़ा।


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