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बजट बैग लेकर निकले जेटली, लोकलुभावन घोषणाओं की उम्मीद

सरकार की तरफ से पेश आर्थिक सर्वेक्षण के संकेत साफ हैं कि इस बार आम बजट में लोकलुभावन घोषणाओं के साथ आर्थिक सुधारों के नए उपायों के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश होगी।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 02:31 AM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 10:19 AM (IST)
बजट बैग लेकर निकले जेटली, लोकलुभावन घोषणाओं की उम्मीद
बजट बैग लेकर निकले जेटली, लोकलुभावन घोषणाओं की उम्मीद

नई दिल्ली। बजट आज पेश होगा या नहीं, इसका फैसला स्पीकर लेंगी। फैसला 10 बजे तक आने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली अाज सुबह पहले राष्ट्रपति भवन पहुंचे, वहां से वे सीधे संसद भवन पहुंच चुके हैं। बजट की कॉपियां भी संसद पहुंच गई है। वित्त मंत्री 11 बजे से बजट पेश करेंगे ।

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वैसे, कई मायनों में यह बजट पहले की तुलना में अलग है। यह पहली बार है जब बजट 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है। इससे पहले बजट 28 या 29 फरवरी को पेश होता था। यही नहीं अरुण जेटली का भी यह चौथा बजट है। साथ ही 92 साल में पहली बार रेल बजट अलग से पेश नहीं हो रहा है। इस बार रेल बजट आम बजट का ही हिस्सा है। नोटबंदी के बाद इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस बजट में मध्य वर्ग को राहत देने के लिए इनकम टैक्स में छूट की मौजूदा सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर सकती है।

कांग्रेस ने बजट टालने की मांग की

लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे ने कहा कि आज बजट टाला जाए। शिवसेना ने भी बजट को 2 फरवरी तक के लिए स्थगित करने की मांग की है।

आर्थिक सुधारों के नए उपायों के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश होगी

एक तरफ नोटबंदी का असर तो दूसरी तरफ पांच राज्यों में अहम चुनाव। एक तरफ बेहद अस्थिर ग्लोबल हालात तो दूसरी तरफ देश की आर्थिक विकास दर की रफ्तार तेज करने की चुनौती। एक तरफ फ्लैगशिप कार्यक्रमों के लिए भारी धन की जरूरत तो दूसरी तरफ देश में करोड़ों नौजवानों को रोजगार मुहैया कराने का दायित्व। वित्त मंत्री इन विसंगतियों के बीच बुधवार को वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करेंगे। मंगलवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण और सरकार की तरफ से पेश आर्थिक सर्वेक्षण के संकेत साफ हैं कि इस बार आम बजट में लोकलुभावन घोषणाओं के साथ आर्थिक सुधारों के नए उपायों के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश होगी।

पहले राष्ट्रपति मुखर्जी के अभिभाषण के जरिये सरकार ने अर्थव्यवस्था की बेहद गुलाबी तस्वीर पेश की। लेकिन इसके कुछ ही देर बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से तैयार आर्थिक सर्वेक्षण ने यह बताने में कोई कोताही नहीं की कि देश को आर्थिक सुधारों की नई डोज की जरूरत है। राष्ट्रपति ने देश की आर्थिक विकास दर को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण ने अगले वित्त वर्ष के लिए विकास दर के 6.75 से 7.25 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।

ग्लोबल सुस्ती को देखते हुए यह विकास दर प्रभावशाली है लेकिन आठ फीसद से ज्यादा की विकास दर हासिल करने का राजग का दावा फिलहाल दूर की कौड़ी साबित होता दिख रहा है। चालू वित्त वर्ष के दौरान तो आर्थिक विकास दर के 6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है। इसके लिए नोटबंदी को बहुत हद तक जिम्मेदार माना गया है। सर्वेक्षण के मुताबिक नोटबंदी से भविष्य में कई फायदे होंगे लेकिन यह तभी होगा जब इसके लिए तमाम नीतिगत उपाय भी किए जाएं।

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सरकार के पास एक उपाय यह हो सकता है कि वह इस बार बजट में व्यक्तिगत व कॉरपोरेट टैक्स की दरों को और नरम कर सकती है। इससे कर दायरे को बढ़ाने में मदद मिलेगी। सर्वेक्षण ज्यादा कमाने लेकिन कर नहीं अदा करने वाले वर्ग को कर दायरे में लाने की बात करता है। कई जानकार मान रहे हैं कि वित्त मंत्रालय का इशारा कृषि कार्यो से ज्यादा आय अर्जित करने वाले किसानों से है। लेकिन सरकार की तरफ से सबसे युगांतकारी कदम यूनिवर्सल बेसिक इनकम यानी यूबीआइ की घोषणा हो सकती है। इसकी जरूरत आर्थिक सर्वेक्षण में पुरजोर तरीके से बताई गई है।

असलियत में सर्वेक्षण में देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष तीन सबसे अहम चुनौतियां बताई गई हैं। इसमें पहला है, नोटबंदी के बाद के फायदे के लिए सही कदम उठाना। दूसरा है, बदलते राजनीतिक माहौल और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका। तीसरा है, बड़े देशों के बीच ट्रेड वॉर का शुरू होना। इन तीनों चुनौतियों का समाधान यही है कि सरकार आर्थिक सुधारों को और तेजी से आगे बढ़ाए। नोटबंदी से दूध, चीनी, आलू-प्याज जैसी जरूरी चीजों की आपूर्ति प्रभावित हुई है। अब सरकार को सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही ग्लोबल हालात को देखते हुए घरेलू स्तर पर रोजगार मुहैया कराने पर खास ध्यान देना होगा।

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इसके लिए चमड़ा, कपड़ा जैसे अन्य उद्योगों को नए प्रोत्साहनों की जरूरत है। अब जबकि महंगाई काफी कम हो गई है और ब्याज दरों में गिरावट की शुरुआत हो गई है तो सरकार रियल एस्टेट को भी नए प्रोत्साहन देकर एक साथ सीमेंट, स्टील जैसे कई उद्योगों के लिए मांग बढ़ाने की कोशिश करेगी। रोजगार सृजन इस बजट का केंद्रीय बिंदु हो सकता है। सर्वेक्षण का संकेत यह भी है कि सरकार अपने सभी फ्लैगशिप कार्यक्रमों के लिए बजट आवंटन में कोई कोताही नहीं बरतेगी।


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