...तो इस बैंक से शुरू हुआ था पीएनबी घोटाला, मामा-भांजे ने लगाया हजारों करोड़ का चूना
इलाहाबाद बैंक के पूर्व निदेशक दुबे बताते हैं कि केंद्रीय वित्त सचिव और आरबीआइ को इस फैसले की भनक लगते ही हड़कंप मच गया था।
शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। देश के बैंकिंग क्षेत्र को हिला देने वाले पीएनबी घोटाले की शुरुआत 2013 में इलाहाबाद बैंक की निदेशक मंडल की बैठक में ही हो गई थी। नई दिल्ली में हुई उस बैठक में गीतांजलि ज्वेलर्स के मालिक मेहुल चौकसी को 550 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी गई थी। मेहुल चौकसी रिश्ते में घोटालेबाज नीरव मोदी के मामा हैं। बाद में मामा-भांजे ने मिलकर बैकों को हजारों करोड़ का चूना लगाया। चौकसी को बैंक की हांगकांग शाखा से भुगतान किया गया था।
इलाहाबाद बैंक पीएनबी सहित देश के चार अन्य सरकारी बैंकों को लीड करता है। आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और गीतांजलि, नक्षत्र और गिन्नी ज्वेलरी चेन चलाने वाले मेहुल चौकसी मूलत: गुजरात के हैं। दोनों मुंबई में रहते हैं। नई दिल्ली के होटल रेडीसन में 14 सितंबर, 2013 को इलाहाबाद बैंक के निदेशक मंडल की बैठक हुई। इसमें भारत सरकार की ओर से नियुक्त निदेशक दिनेश दुबे ने चौकसी को 550 करोड़ लोन देने का विरोध किया। 16 सितंबर को इस बैठक की जानकारी दुबे ने भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती को दी। इसके बाद बैंक अधिकारियों को तलब भी किया गया, लेकिन इसके बावजूद मेहुल चौकसी को बैंक की हांगकांग शाखा से भुगतान कर दिया गया।
इलाहाबाद बैंक के पूर्व निदेशक दुबे बताते हैं कि केंद्रीय वित्त सचिव और आरबीआइ को इस फैसले की भनक लगते ही हड़कंप मच गया था। उधर, बैंक के अधिकारी मेहुल चौकसी को सैकड़ों करोड़ देकर खुद भी करोड़ों रुपये डकारने में लगे थे, जिसके चलते मामला दब गया। बाद में यही घपला हजारों करोड़ तक पहुंच गया। उनका दावा है कि देश के सरकारी बैंकों से अवैध तरीके से लिए गए कर्ज की राशि 20 हजार करोड़ तक हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि मेहुल चौकसी और नीरव मोदी ने मिलकर देश के बैंकिंग सेक्टर को हजारों करोड़ का चूना लगाया है। इससे पहले से खराब हालात से जूझ रहे बैंकिंग क्षेत्र को ओर खराब दिन देखने पड़ सकते हैं।