एनसीटीसी की पैरोकारी में उतरे प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र [एनसीटीसी] के हो रहे विरोध के बीच इसकी पैरोकारी का मोर्चा खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संभाल लिया है। कुछ राज्यों के विरोध को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर सिलसिलेवार जवाब दिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र [एनसीटीसी] के हो रहे विरोध के बीच इसकी पैरोकारी का मोर्चा खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संभाल लिया है। कुछ राज्यों के विरोध को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर सिलसिलेवार जवाब दिया है।
पत्र में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि एनसीटीसी खुफिया ब्यूरो [आइबी] की एक इकाई है, कोई अलग संगठन नहीं। भाजपा और भाजपाशासित राज्यों के विरोध की हवा निकालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस तरह का केंद्र बनाने का विचार 2001 से ही राजग सरकार के समय से चला आ रहा है। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, तमिलनाडु, उड़ीसा, त्रिपुरा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है, केंद्र सरकार का इरादा संविधान के मूल ढांचे से छेड़छाड़ या केंद्र व राज्यों के बीच अधिकारों के बंटवारे में दखल का कतई नहीं है।
एनसीटीसी की मूल जिम्मेदारी आतंकवाद के खिलाफ विभिन्न कार्रवाई के बीच समन्वय बनाना है। खुफिया ब्यूरो पहले से यह काम कर रहा है। यही कारण है कि एनसीटीसी को खुफिया ब्यूरो के मातहत रखा गया है।
भाजपा और उसके मुख्यमंत्रियों को करार जबाव देते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया है कि एनसीटीसी जैसी एजेंसी बनाने का विचार सबसे पहले राजग सरकार के दौरान बनी टास्क फोर्स ने 2001 में दिया था, जिसे तत्कालीन सरकार ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद से सरकार के एजेंडे में ऐसी एजेंसी बनाने का विचार रहा है। प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए एनटीसीसी बनाने की सिफारिश की थी। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों को आश्वस्त किया है कि इसके बावजूद गृह मंत्री आपसे बातचीत कर शंकाओं को दूर करने का भरसक प्रयास करेंगे।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर