Move to Jagran APP

रक्षा एफडीआइ पर अब पीएम करेंगे फैसला

रणनीतिक क्षेत्र में एफडीआइ के दरवाजे बड़े करने को लेकर सरकार के भीतर ही खींचतान मच रही है। रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाने पर जहां वित्त और वाणिज्य मंत्रालय जोर दे रहा है, वहीं रक्षा मंत्रालय इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं है। सीमा बढ़ाए जाने की पैरवी कर रहे वाणिज्य

By Edited By: Published: Mon, 17 Jun 2013 08:01 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2013 08:17 AM (IST)
रक्षा एफडीआइ पर अब पीएम करेंगे फैसला

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रणनीतिक क्षेत्र में एफडीआइ के दरवाजे बड़े करने को लेकर सरकार के भीतर ही खींचतान मच रही है। रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाने पर जहां वित्त और वाणिज्य मंत्रालय जोर दे रहा है, वहीं रक्षा मंत्रालय इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं है। सीमा बढ़ाए जाने की पैरवी कर रहे वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि वो रक्षा मंत्री एके एंटनी से बात करेंगे।

loksabha election banner

एफडीआइ की सीमा को लेकर मंत्रलयों की खींचतान के बीच इस मामले पर अब प्रधानमंत्री के दरबार में भी जाने की तैयारी हो गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने रविवार को कहा कि वो दूरसंचार और रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाए जाने के पक्षधर हैं। इसे लेकर वो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात करेंगे। बीते सप्ताह वित्त मंत्री चिदंबरम ने भी रक्षा समेत कई क्षेत्रों में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने के संबंध में शर्मा के साथ मिल प्रधानमंत्री से बात करने की बात कही थी।

दूरसंचार में जहां मौजूदा एफडीआइ सीमा 74 फीसद को सौ फीसद बढ़ाए जाने की कवायद है, वहीं रक्षा क्षेत्र में भी 26 से 50 फीसद करने की कोशिश हो रही है। पत्रकारों से बातचीत में शर्मा ने कहा कि विदेशी सैन्य निर्माताओं के साथ भारत की सरकारी न निजी कंपनियों की साझेदारी से रक्षा खरीद पर खर्च होने वाली बड़ी विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे घरेलू रक्षा उत्पादन की रीढ़ मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।

सूत्रों के मुताबिक रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाकर पहले चरण में 50 फीसद करने का प्रस्ताव है। वहीं अगले चरण में 76 प्रतिशत तक ले जाने की कोशिश होगी। यह महत्वपूर्ण है कि रक्षा क्षेत्र में मौजूदा सीमा को कुछ विशेष मामलों में बढ़ाकर 49 फीसद करने का प्रावधान अभी भी है। इस माह की शुरुआत में नई रक्षा खरीद नीति डीपीपी-2013 लागू कर चुके रक्षा मंत्रलय ने घरेलू सैन्य उत्पादन को मजबूत करने के लिए तो कदम उठाए हैं लेकिन एफडीआइ की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है।

सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रलय मौजूदा स्थिति में एफडीआइ सीमा बढ़ाए जाने का विरोध जारी रखेगा। घरेलू उद्योग की स्थिति का हवाला देते हुए रक्षा मंत्रलय की दलील है कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अभाव में भारत को विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही इससे भारतीय बाजार में विदेशी हथियार निर्माताओं का दखल भी बढ़ेगा। बीते कुछ दिनों में अमेरिका समेत कई मुल्क भारत से एफडीआइ की सीमा बढ़ाने का आग्रह कर चुके हैं। साथ ही साझा उत्पादन के प्रस्ताव भी दे चुके हैं। गौरतलब है कि भारत अपनी जरूरत का करीब 70 फीसद रक्षा उत्पादों का आयात करता है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.