VIDEO: बोफोर्स के 31 साल बाद भारतीय सेना को मिलीं दो हाईटेक तोपें, ये है खासियत
भारतीय सेना को और ताकतवर बनाने के लिए आज उन्हें दो हाईटेक तोपें सौंप दी गई हैं। सेना को 31 साल से इनका इंतजार था। इससे सरहद की सुरक्षा और मजबूत होगी।
नई दिल्ली/लखनऊ, निशांत यादव। भारतीय सेना को दिवाली के उपहार स्वरूप आज दो तरह की हाईटेक तोपें दी गई हैं। सेना को 31 सालों से इसका इंतजार था। ये तोहफे हैं M-777 अल्ट्रालाइट होवित्जर (अमेरिकी) तोप और K-9 वज्र (कोरियन) बख्तरबंद तोप। इससे भारतीय सेना की आर्टीलरी क्षमता और मजबूत हो गई है।
पहले इन तोपों को सितंबर माह में ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया जाना था। कुछ तकनीकी वजहों से इन्हें अब सेना को दिया गया है। शुक्रवार को महाराष्ट्र के नासिक स्थित देवलाली में आयोजित एक भव्य समारोह में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में दोनों तोप भारतीय सेना के सुपुर्द कर दी गईं।
31 साल पहले मिली थी बोफोर्स
बोफोर्स के बाद 31 सालों में भारतीय सेना को यह दो तोपें मिली हैं। के-9 बज्र को साउथ कोरिया की कंपनी हनवहा टेक विन ने मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया है। भारत में इस बख्तरबंद तोप का निर्माण एलएंडटी करेगी। वर्ष 2020 तक 100, के-9 वज्र आर्टीलरी तोप भारतीय सेना के पास होंगी। कुल 4,366 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत सेना को इस माह के अंत तक 10 तैयार तोपें मिलेंगी। शेष 90 का निर्माण मेक इन इंडिया के तहत होगा। इसमें से 40 तोपें अगले साल नवंबर में मिलेंगी। बाकी 50 तोपें नवंबर 2020 तक सेना को मिलेंगी।
K-9 वज्र की खासियत
यह तोप 30 सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है। तीन मिनट में 15 राउंड की भीषण गोलाबारी कर सकती है और 60 मिनटों में लगातार 60 राउंड की फायरिंग भी कर सकती है। न्यूक्लियर वारफेयर केमिकल से निपटने के लिए सीबीआरएन तकनीक से यह तोप लैस है। यह बख्तरबंद तोप 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से दौड़ सकती है। इसे रेगिस्तानी इलाकों में भी चलाया जा सकता है। इस वजह से यह तोप भारत पाक की राजस्थान और पंजाब सीमा पर बहुत प्रभावी होगी।
K-9 की मारक क्षमता
के-9 वज्र बख्तरबंद तोप को चलाने के लिए पांच जवान तैनात होते हैं। यह 39 किमी. तक अचूक निशाना लगाकर दुश्मन को मिटाने की काबिलियत रखती है। इस तोप का कैलिबर 155 एमएम का है। इसका गोला जहां भी गिरेगा वहां 50 मीटर तक सब कुछ तहस-नहस कर देगा। यह तोप दिन और रात में कभी भी फायर करने में सक्षम है।
M-777 की विशेषताएं
सेना को दूसरा बड़ा गिफ्ट एम 777 अल्ट्रालाइट होवित्जर तोप है। यह प्रोजेक्ट 5000 करोड़ रुपये का है। इसका वजन केवल 4.2 टन है। इसलिए इसे चीनूक हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट विमान से हाई एल्टीटयूट और दूसरे दुर्गम पहाड़ी एरिया में तैनात किया जा सकता है। कारगिल युद्ध के बाद सबसे ज्यादा कमी हाई एल्टीट्यूट वारफेयर की थी। यह तोप 31 किमी तक एक मिनट में चार राउंड फायर कर सकती है। इसका गोला 45 किलो का है। यह 155/39 एमएम की तोप है। इसे चलाने के लिए आठ जवान तैनात होंगे।
M777 की बनेगी अलग रेजिमेंट
सेना कुल 145 M777 होवित्जर तोपों के साथ अलग रेजिमेंट भी बनाएगी। वर्ष 2021 तक सेना को पूरी 145 एम777 तोपें मिल जाएंगी। अगस्त 2019 की शुरुआत में पांच तोपें सेना को सौंप दी जाएंगी। जबकि यह प्रक्रिया पूरी होने में 24 महीनों का वक्त लगेगा। पहली रेजिमेंट अगले साल अक्टूबर में पूरी हो जाएगी।
तोप के लिए दिए गए विशेष ट्रैक्टर
इस समारोह के दौरान 130 एमएम और 155 एमएम की तोपों को ले जाने वाले कांपैक्ट गन ट्रैक्टर को भी तोपखाने में शामिल किया जा चुका है। तोप से जुड़ने के साथ इस वाहन की अधिकतम गति 80 किमी प्रति घंटे और 50 किमी प्रति घंटे है।