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चीन से तनातनी ही नहीं, इन वजहों से भी चौंकाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा

समुद्रतल से 11 हजार फुट की ऊंचाई... दुर्गम क्षेत्र ऑक्सीजन की कमी वाले उस इलाके में जहां मौसम दिन में कई बार बदलता है पीएम मोदी की गरजती आवाज चौंकाती है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 10:35 AM (IST)
चीन से तनातनी ही नहीं, इन वजहों से भी चौंकाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा
चीन से तनातनी ही नहीं, इन वजहों से भी चौंकाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा

श्रीनगर, जेएनएन। समुद्रतल से करीब 11 हजार फुट की ऊंचाई... दुर्गम क्षेत्र, ऑक्सीजन की कमी और शुष्क हवाएं। मौसम भी यहां दिन में कई बार बदलता है। ऐसा है लेह जिले का नीमू इलाका... लद्दाख पहुंचने के बाद आम आदमी को दो दिन आराम करना पड़ता है और नीमू इलाके में जाने से पहले तो जवानों को भी सख्त ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक दिल्ली की गर्म फिजा से सीधे नीमू में जवानों के बीच पहुंचकर सभी को चौंका दिया। नीमू के पूर्व में चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा है तो पश्चिम में पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा। जानें क्‍यों हैरान कर रहा है पीएम मोदी का यह दौरा...

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बिना थके गरजती आवाज में संबोधन

प्रधानमंत्री का बिना रुके-बिना थके, यहां गरजती आवाज में जवानों को संबोधित करना, अस्पताल जाना, अग्रिम चौकी का दौरा और फिर सैन्य कमांडरों से बैठक करना जवानों में ऊर्जा का संचार कर गया। पीएम के लद्दाख दौरे से उनके स्वास्थ्य, योगाभ्यास और संकल्पशक्ति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। बता दें कि लद्दाख को बर्फीला रेगिस्तान भी कहते हैं, यहां मैदानी इलाकों से पहुंचे किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के लिए सीधे काम पर डट जाना, पैदल चलना या ऐसा कोई भी काम करना, जिसमें शारीरिक ऊर्जा लगती हो, कई बार घातक साबित होता है।

स्वास्थ्य की परवाह नहीं, चिंता देश की

लद्दाख में सेवारत कर्नल रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि यहां तैनात होने वाले किसी भी सैन्य अधिकारी और जवान को पहले यहां के मौसम के अनुकूल बनाया जाता है। उसे कम से कम तीन से चार दिन तक आराम की स्थिति में रखा जाता है। उसके बाद उसे धीरे-धीरे वह सब काम सौंपे जाते हैं, जिससे उसका शरीर पूरी तरह से लद्दाख के मौसम की मार को झेलने लायक हो जाए। इसलिए अग्रिम इलाकों में जवानों और अधिकारियां को तैनात करने से पूर्व उन्हें ड्यूटी की प्रकृति एवं शरीर की क्षमता के आधार पर 15 दिन से एक माह की ट्रेनिंग में शामिल किया जाता है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक यहां पहुंचकर हम सभी को चौंका दिया है। इससे उनकी ऊर्जा और सेना के प्रति आदरभाव को समझा जा सकता है। उन्होंने अपने स्वास्थ्य की परवाह भी नहीं की है। वह रोजाना योग करते हैं और मुझे लगता है कि इसी कारण लद्दाख के मौसम में भी वह पूरी तरह ऊर्जावान नजर आए।

आराम नहीं केवल काम किया

लेह में होटल संचालक वसीम अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को नीमू में सेना, वायुसेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों और अधिकारियों को संबोधित किया है। नीमू के पूर्व में चीन के साथ तनाव का कारण बनी वास्तविक नियंत्रण रेखा है और पश्चिम में लद्दाख को पाकिस्तान से अलग करने वाली नियंत्रण रेखा। ऐसे में प्रधानमंत्री का यहां अचानक पहुंच जवानों से मिलना, अस्पताल में जाना, एक अग्रिम चौकी का दौरा करना, फिर सैन्य कमांडरों के साथ बैठक करना, हैरान कर देता है, क्योंकि उन्होंने यहां आकर आराम नहीं, काम किया है। मैदानी इलाके से आए किसी सामान्य नागरिक जो बेशक पूरी तरह से स्वस्थ हो, उसका यहां के मौसम में ढले बिना इस तरह घूमना-फिरना हैरान करता है। ऐसा करना घातक भी साबित हो सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री ने ऐसा किया है।

देशवासियों को दिया फिट रहने का संदेश

पीएम ने एक तरह से पूरे देशवासियों को संदेश दिया है कि वह हमेशा खुद को फिट रखें। किसी भी देश का प्रधानमंत्री ऐसे इलाके में जाने से पहले अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देगा। वह ऐसे क्षेत्र में सैर के लिए आना पसंद करेगा, युद्ध जैसी स्थिति में नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अचानक यहां आकर, बिना आराम किए जिस तरह से जवानों से मुलाकात की है, उससे उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, राजनीतिक नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है, जो सभी में उत्साह जगाएगा।

अन्य प्रदेशों से अलग है लद्दाख का मौसम

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख समुद्रतल से करीब 11 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। स्थानीय लोग जो सदियों से लद्दाख में रह रहे हैं, उनका शरीर स्थानीय मौसम के अनुकूल हो चुका है। लद्दाख में ऑक्सीजन की कमी है। हवा भी शुष्क होती है। इसीलिए अन्य क्षेत्रों से आने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। कई बार उनके शरीर में सुस्ती सी आ जाती है, हल्का बुखार या फिर सिरदर्द के साथ तेज बुखार हो जाता है। हृदयाघात का भी खतरा रहता है। बाहर से आने वालों को अपने खानपान में भी एहतियात बरतना पड़ता है।

कैसा रहता है नीमू में तापमान

लेह जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर जंस्कार की पहाडि़यों के बीच ¨सध दरिया के किनारे स्थित नीमू सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां गर्मियों में तापमान कई बार 40 डिग्री तक पहुंच जाता है तो सर्दियों में पारा माइनस 25 डिग्री तक चला जाता है। नीमू में हर साल ऑल इंडिया रीवर राफ्टिंग का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा मैग्नेट हिल रोड भी नीमू से करीब साढ़े सात किलोमीटर की दूरी पर है। 


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