पीएम मोदी ने हजारों रेहड़ी-पटरी वाले व्यवसायियों के मन को छू लिया, दिए कुछ नुस्खे
आत्मनिर्भर भारत के लिए स्ट्रीट वेंडर्स का सशक्तीकरण नारे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के पटरी-रेहड़ी व्यवसायियों से वर्चुअल माध्यम से करीब एक घंटे तक घुले-मिले।
भोपाल, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को मध्य प्रदेश के रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों से मुखातिब हुए थे। कोरोना के कहर में पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (स्वनिधि) के माध्यम से फिर अपने पैरों पर खड़े होने वाले इन छोटे व्यवसायियों के मन को मोदी ने छू लिया। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से सीधी बातचीत तो सिर्फ तीन लाभार्थियों से ही की, लेकिन उनकी आवाज हजारों रेहड़ी-पटरी वालों तक पहुंची। मोदी ने उन्हें आत्मनिर्भर होने के नुस्खे दिए। हर व्यवसायी को कुछ नए विचार दिए और सबसे ज्यादा दिया भरोसा। वादा किया कि स्वनिधि योजना से जुड़ने वाले जिन लाभार्थियों को उज्ज्वला, बिजली कनेक्शन, आयुष्मान भारत और बीमा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, उन्हें भी इन योजनाओं से जोड़ा जाएगा, जिसके पास पक्की छत नहीं होगी उसे छत भी मुहैया कराई जाएगी।
आत्मनिर्भर भारत के लिए स्ट्रीट वेंडर्स का सशक्तीकरण नारे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के पटरी-रेहड़ी व्यवसायियों से वर्चुअल माध्यम से करीब एक घंटे तक घुले-मिले। बातचीत की शुरुआत इंदौर जिले के सांवेर क्षेत्र के छगनलाल और उनकी पत्नी से हुई। छगनलाल झाड़ू बनाकर ठेले पर बेचते हैं। कोरोना काल में परेशानी के दौर से गुजरे छगनलाल को पीएम स्वनिधि योजना से सहारा मिला। छगनलाल ने बताया कि पत्नी और बच्चों समेत वे झाड़ू बनाते हैं और बेचते हैं। मोदी ने तपाक से बात काटी और पूछा कि क्या बच्चे पढ़ते नहीं हैं? उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। फिर उनसे झाड़ू बनाने का तरीका पूछा। सुझाव दिया कि पुराने झाड़ू की लकड़ी या पाइप को कुछ रुपयों में खरीद लिया करो। इससे नई झाड़ू की लागत कम आएगी।
मोदी से बातचीत के क्रम में दूसरा नंबर ग्वालियर की अर्चना शर्मा का था। अर्चना अपनी बेटी आकांक्षा और बेटे अंश के साथ मुखातिब थीं। वे टिक्की (चाट) बनाकर ठेले पर बेचती हैं। मोदी ने बच्चों से उनके हुनर के बारे में पूछा, तो आकांक्षा ने बताया कि वे पेंटिंग करती हैं। मोदी ने जब पूछा कि आपकी टिक्की में ऐसा क्या है कि ज्यादा लोग खाने आते हैं, तो अर्चना ने बिना संकोच ही तपाक से कह दिया कि ये तो वे ही जानें, उन्हें अच्छी लगती होगी। अर्चना का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने सवाल किया कि हम ग्वालियर आएं तो टिक्की खाने को मिल जाएगी। यह सुनते ही अर्चना ने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए कहा कि जी बिलकुल मिलेगी।
आपका आत्मविश्वास गजब का है कुशवाहा जी
मोदी ने रायसेन के लालचंद कुशवाहा से भी बातचीत की। ठेले पर फेरी लगाकर और सड़क पर दुकान लगाकर सब्जी बेचने वाले कुशवाहा ऑर्गेनिक सब्जी भी उगाते हैं। मोदी ने कुशवाहा के जज्बे को सराहा। उनसे भी आयुष्मान और उज्ज्वला जैसी योजनाओं पर चर्चा की। कुशवाहा को भी बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया तो कुशवाहा बोले कि मेरी तो अभी ढाई साल की बच्ची कनक है। मोदी ने यह भी कहा- कुशवाहा जी आपका आत्मविश्वास गजब का है। इसके पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वनिधि योजना के तहत किए गए अपने प्रयासों की चर्चा करते हुए मोदी का स्वागत किया।
केंद्रीय योजनाओं के लाभ की जानकारी भी लेते रहे मोदी
मोदी लाभार्थियों से बातचीत करते हुए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से मिले फायदे की भी जानकारी लेते रहे। अर्चना ने जब उन्हें बताया कि पति राजेंद्र शर्मा के बीमार होने पर उन्होंने ठेला लगाना शुरू किया तो उन्होंने अर्चना के जज्बे को सराहा। साथ ही यह पूछना नहीं भूले कि आयुष्मान भारत योजना का उन्हें कितना लाभ मिला। इसके पहले मोदी से छगनलाल ने भी उज्ज्वला योजना का लाभ बताया। उन्होंने बताया कि पहले कच्चे मकान में चूल्हा फूंकते समय उनकी पत्नी की आंखें सूज जाती थीं लेकिन अब गैस कनेक्शन और पक्के मकान मिलने से उनका परिवार बेहतर स्थिति में है।
उपचुनाव के लिए भी मोदी ने तैयार की जमीन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत तो रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों से की, लेकिन उनके जरिये गरीबों को संदेश दिया कि संकट की घड़ी में भी सरकार उनकी कितनी सुध ले रही है। यह भी संयोग रहा कि मोदी जिन लाभार्थियों से बातचीत कर रहे थे वे उपचुनाव वाले क्षेत्रों के हैं। इंदौर के सांवेर, ग्वालियर और रायसेन के सांची विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। सांवेर और सांची अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटे हैं। तीनों क्षेत्रों से शिवराज सरकार के मंत्रियों को भाजपा का उम्मीदवार बनना है। मोदी ने बिना नाम लिए कांग्रेस के शीर्ष नेताओं पर तंज भी किया कि कई लोग बार-बार गरीबों का नाम बोलते रहते हैं लेकिन पिछले छह साल में गरीबों के लिए रिकार्ड कार्य हुए हैं।