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चाय बेचते-बेचते हिंदी सीखी, यूपी के लोगों से मिली मदद: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर तीन दिवसीय विश्‍व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्‍होंने कहा कि सिंहस्‍थ की तैयारी से पहले ही भोपाल की धरती पर हिंदी का महाकुंभ हो रहा है। इस बार सम्‍मेलन में हिंदी भाषा पर बल देने

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2015 12:21 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2015 05:07 PM (IST)
चाय बेचते-बेचते हिंदी सीखी, यूपी के लोगों से मिली मदद: पीएम मोदी

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर तीन दिवसीय विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सिंहस्थ की तैयारी से पहले ही भोपाल की धरती पर हिंदी का महाकुंभ हो रहा है। इस बार सम्मेलन में हिंदी भाषा पर बल देने का प्रयास किया गया है। जब भाषा होती है तब हमें अंदाज नहीं होता है कि उसकी ताकत क्या है। सदियों बाद जब वह किसी और के हाथ लग जाती है तो सालों तक यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि लिखा क्या है।

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पीएम मोदी ने कहा कि आज सुनने को मिलता है कि संस्कृत भाषा में ज्ञान के भंडार हैं। संस्कृत के विद्वानों की कमी के कारण हमें वह ज्ञान नहीं मिल पा रहा है। हम धीरे-धीरे सस्कृत से अलग हो गए, इसलिए हमें वह ज्ञान नहीं मिल पाया। हर पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि भाषा की विरासत को संभाला जाए, अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि हर हाल में हमें अपनी विरासत को सुरक्षित रखना होगा। भाषा के लुप्त होने पर उसकी कीमत का पता चलता है। हर पीढ़ी का दायित्व है भाषा को मजबूती देना। मेरी मातृभाषा गुजराती है, लेकिन अगर में हिंदी नहीं जानता तो कैसे लोगों तक अपनी बात पहुंचा पाता। मैं यहां हिंदी साहित्य नहीं बल्कि भाषा की चर्चा कर रहा हूं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें धीरे-धीरे आदत डालना चाहिए कि हिंदुस्तान की भाषाएं अपनी लिपी में तो हों, लेकिन नागरी लिपी में भी लिखी जाएं। हमें हिंदी की ताकत का अंदाजा है। भाषा जड़ नहीं हो सकती, वह हवा का झोंका है, जहां से गुजरेगी, वहीं की सुगंध लेकर आएगी। भाषा की यही ताकत होती है, जिस पीढ़ी से गुजरती है, उसके लिए कुछ न कुछ लेकर आती है। भाषा चैतन्य है। उन्होंने कहा कि क्या हम हिंदी और तमिल भाषा का एक साथ वर्कशॉप कर सकते हैं। हमें हिंदुस्तान की सभी भाषाओं की उत्तम चीजों को हिंदी का हिस्सा बनाने का प्रयास करना चाहिए। यह एक अनवरत प्रक्रिया है, इससे भाषा समृद्ध होगी। हर राज्य के पास अपनी मातृभाषा का खजाना है, हमें उसे हिंदी से जोड़ने का प्रयास करना होगा।

पीएम ने अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए मैं जब पहली बार गुजरात के बाहर निकला और हिंदी बोला तो लोग पूछते थे कि मोदी जी आप इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोलते हैं। मैंने चाय बेचते-बेचते हिंदी सीखी। व्यापारी ट्रेन में आते-जाते थे, मैं उन्हीं से बात करता था। मैंने यूपी से आने वाले दूध व्यापारियों से हिंदी सीखी। मैं मंगोलिया गया, वहां भी हिंदी भाषा का आकर्षण है, हिंदी भाषा बोलने वाले हैं। रूस में हिंदी बोलने वाले बहुत लोग मिलेंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि कई देशों में हिंदी पहुंचाने का काम हमारी फिल्म इंडस्ट्री ने किया। आगे आने वाले दिनों में हिंदी का महत्व बढ़ने वाला है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भाषाशास्त्रियों के मुताबिक, दुनिया में 6000 भाषाएं हैं। 21वीं सदी के अंत तक इनमें से 90 फीसद लुप्त हो जाएंगी। इस चेतावनी को हम न समझे, हिंदी का संरक्षण न किया तो हम भी अपनी ताकत खो देंगे।

पीएम ने कहा कि मैंने ट्विटर पर इजरायल के प्रधानमंत्री को हिब्रू भाषा में एक उत्सव की बधाई दी। तीन-चार घंटों बाद वहां से हि्ंदी में धन्यवाद आया। ओबामा ने हिंदी में कहा, सबका साथ, सबका विकास। उन्होंने कहा कि हमारी भाषा ही न बची तो साहित्य का इतना बड़ा भंडार कहां से बचेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में डिजिटल वर्ल्ड अहम भूमिका निभाएगा। तकनीक के जानकार बताते हैं कि अंग्रेजी, चीनी, हिंदी आने वाले वक्त में तकनीक की भाषा होगी। इनका दबदबा पूरी दुनिया में होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में भाषा बहुत बड़ा बाजार बनने वाला है।

इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि मैं ह्दय की गहराइयों से सभी मेहमानाें का स्वागत करता हूं। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तारीफ करते हुए कहा कि वह दुनिया में जहां भी जाती हैं, हिंदी बोलती हैं। वहीं उन्हाेंने पीएम मोदी के विदेशों में हिंदी में संबोधन की सराहना की।

वहीं सुषमा स्वराज ने अपने संबोधन में पीएम मोदी का इस बात के लिए आभार जताया कि उन्होंने कार्यक्रम भोपाल में करने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि भोपाल हिंदीप्रेमियों का शहर है। मैं भी चाहती थी कि यह कार्यक्रम केवल और केवल भोपाल में हो, क्योंकि में भी मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करती हूं। विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले सम्मेलनों की तुलना में इस सम्मेलन का स्वरूप बहुत अलग है। पहले के सम्मेलन साहित्य पर आधारित थे, इस बार भाषा पर आधारित है। हमें हिंदी के संरक्षण की चिंता करनी पड़ रही है, यह चिंता का विषय है।

सुषमा ने कहा कि पूर्व के सम्मेलन भी भाषा आधारित होते तो ऐसी स्थिति नहीं आती। यह सम्मेलन भाषा की उन्नति के लिए है। चीनी के राष्ट्रपति चीनी में बोलते हैं, जापान के प्रधानमंत्री जापानी में बोलते हैं, रूसी राष्ट्रपति अपनी भाषा में बोलते हैं, ऐसे में हमारे प्रधानमंत्री भी विदेशों में हिंदी में बोलते हैं, यह देखकर गर्व होता है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक डाक टिकट जारी किया। उन्हें यहां हिंदी में बना विशेष लोगो प्रदान किया गया। पीएम ने इस दौरान सम्मेलन स्मारिका के साथ-साथ 'गगनांचल' (अशोक चक्रधर द्वारा संपादित), प्रवासी साहित्य 'जोहानिसबर्ग से आगे ' सहित तीन पुस्तकों का भी विमोचन किया।

10 से 12 सितंबर तक चलने वाले दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन की थीम 'हिंदी जगत : विस्तार एवं संभावनाएं' रखी गई है। तीन दिन तक समानांतर सत्रों में विद्वान और प्रतिभागी 12 विषयों पर अपने विचार रखेंगे। इनकी रिपोर्ट बाद के सत्रों में रखी जाएगी। सत्र विषयों पर दी गई अनुशंसाएं 12 सितंबर को समापन समारोह में रखी जाएंगी। इस सम्मेलन में देश-विदेश के 5000 से ज्यादा विद्वान और मेहमान हिस्सा ले रहे हैं। महानायक अमिताभ बच्चन और गृह मंत्री राजनाथ सिंह समापन समारोह को संबोधित करेंगे।

इन विषयों पर होगा मंथन

गिरमिटिया देशों में हिंदी, विदेशों में हिंदी शिक्षण- समस्याएं और समाधान, विदेशियों के लिए भारत में हिंदी अध्ययन की सुविधा, अन्य भाषा भाषी राज्यों में हिंदी, विदेशी नीति में हिंदी, प्रशासन में हिंदी, विज्ञान क्षेत्र में हिंदी, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी, विधि एवं न्याय क्षेत्र में हिंदी और भारतीय भाषाएं, बाल साहित्य में हिंदी, हिंदी पत्रकारिता और संचार माध्यमों में भाषषा की शुद्धता, देश और विदेश में प्रकाशन: समस्याएं एवं समाधान।

महत्वपूर्ण लोग होंगे शामिल

उद्घाटन समारोह में विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, गृृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, मॉरीशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए।

वीडियो साभारः पीएमओ इंडिया (यूट्यूब)


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