रविवार को एशिया के सबसे बड़े रोड टनल का उद्घाटन करेंगे पीएम नरेंद्र मोदी
इस टनल के निर्माण से जम्मू और श्रीनगर के बीच की दूरी 40 किमी कम हो जाएगी और हर यात्रा के दौरान लगभग दो घंटों की बचत होगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को जम्मू श्रीनगर नेशनल हाइवे पर एशिया की सबसे लंबी टनल का उद्घाटन करेंगे। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर स्थित इस टनल की लंबाई 9.28 किलोमीटर है। ये टनल जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के चेनानी को रामबन जिले के नाशरी से जोड़ती है। 2500 करोड़ की लागत से बनी इस सुरंग का निर्माण में पांच साल से भी ज्यादा का समय लगा है। ये टनल समुद्र तल से 4000 फीट ऊपर है।
इस टनल के निर्माण से जम्मू और श्रीनगर के बीच की दूरी 40 किमी कम हो जाएगी और हर यात्रा के दौरान लगभग दो घंटों की बचत होगी। इस टनल के निर्माण से एनएच 44 पर कई जगहों पर होने वाली बर्फबारी और भूस्खलन से होने वाले जाम से निजात मिल जाएगा। इस टनल के बन जाने से लगभग रोजाना 27 लाख रुपयों के ईंधन की बचत होगी। इस टनल से यात्रा करने में कार से आने जाने का खर्च 85 रुपये, मिनी बस से आने जाने का खर्च 135 रुपये और बस-ट्रक से आने और जाने का खर्च 285 लगेंगे। टनल से डोडा और किश्तवाड़ और अन्य जगहों के बीच आवागमन आसान हो जाएगा।
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इस टनल में दो समानातंर ट्यूब हैं। प्रवेश सिरे का व्यास 13 मीटर है और सुरक्षा ट्यूब जिसे निकास द्वार भी कहते हैं, का व्यास 6 मीटर है। दोनों ट्यूब में 29 जगहों पर क्रास पैसेज हैं। मुख्य ट्यूब में हर 8 मीटर पर ताजा हवा के लिए इनलेट बनाए गए हैं। हवा बाहर जाने के लिए हर 100 मीटर पर आउटलेट बनाए गए हैं। आईएलएंडएफएस के प्रोजेक्ट डायरेक्टर जेएस राठौर ने के मुताबिक चेनानी-नशरी सुरंग भारत की पहली और दुनिया की छठी ऐसी सुरंग है जिसमें वायु संचरण के लिए ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम लगा हुआ है।
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ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम से वाहनों का धुआं सुरंग के अंदर न्यूनतम स्तर तक रहेगा। इस तकनीकी के वजह से सुरंग के अंदर यात्रियों को घुटन नहीं महसूस होगी। राठौर ने बताया है कि इस टनल के मुख्य ट्यूब में किसी यात्री को कोई समस्या आने पर वो क्रास पैसेज का इस्तेमाल करके सुरक्षा ट्यूब में जा सकता है। सुरक्षा के मद्देनजर इस टनल में कुल 124 कैमरे लगे हुए हैं। टनल में लीनियर हीट डिटेक्शन सिस्टम लगा हुआ जो सुरंग के अंदर का तापमान बदलते ही इंटीग्रेटेड टनेल कंट्रोल रूम (आईटीसीआर) को तुरंत सूचना देगा, ये चिंताजनक हालात में टनल के अंदर मौजूद कर्मचारियों से संपर्क करके समस्या का निदान करेगा।
टनल में हर 150 मीटर पर एसओएस बॉक्स लगें हैं। आपातकालीन स्थिति में यात्री इनका इस्तेमाल हॉट लाइन की तरह कर सकेंगे। आईटीसीआर से मदद पाने के लिए यात्रियों को एसओएस बॉक्स खोलकर बस “हलो” बोलना होगा। राठौर ने बताया कि इन एसओएस बॉक्स में फर्स्टएड का सामान और कुछ जरूरी दवाएं भी होंगी। टनल के अंदर यात्री अपने फोन इस्तेमाल कर सकेंगे। राठौर ने बताया कि बीएसएनएल, एयरटेल और आइडिया ने सही सिग्नल उपलब्ध कराने के लिए टनल के अंदर विशेष उपकरण लगाए हैं।
टनल से निकलते या घुसते समय रोशनी अचानक बढ़ने या खत्म हो जाने से चालकों की दृष्टि बाधित न हो इसके लिए विशेष प्रकाश व्यवस्था की गयी है। टनल में फायर सेफ्टी का भी विशेष ध्यान रखा गया है। आग लगते ही सुरंग में लगे फायर सेंसर हरकत में आ जाएंगे और सुरंग में ताजा हवा आनी बंद हो जाएगी और एग्झास्ट चलने लगेगा। टनल में हर 300 मीटर पर एग्झास्ट लगे हैं और आग लगने की जगह के आसपास स्थित एग्झास्ट तेजी से काम करने लगेंगे और धुएं को टनल से बाहर निकाल देंगे।
आग पर काबू पाने और फंसे हुए यात्रियों को निकालने के लिए एंबुलेंस या अन्य वाहन तुरंत मौके पर मदद के लिए पहुंच जाएंगे। हिमालयी क्षेत्र में होने के बावजूद ये टनल 100 प्रतिशत वाटरप्रूफ है। टनल की छत या कहीं से भी पानी अंदर नहीं आ सकेगा। इस में गति सीमा 50 किमी प्रति घंटा है और गाड़ी की हेडलाइन को लो बीम पर रखना होगा।
टनल में पांच मीटर से अधिक ऊंचाई के वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित होगा। इस टनल का निर्माण कार्य 23 मई 2011 को शुरू हुआ था। इस टनल को न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से बनाया गया है। इसे सिक्वेंशियल एक्स्केवशन मेथड (एसईएम) भी कहते हैं। दुनिया भर में नई टनल बनाने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। दुनिया की सबसे लंबी सड़क टनल नार्वे में है जो 24.51 किलोमीटर लंबी है।