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पीएम मोदी ने इसरो वैज्ञानिकों की बढ़ाई हिम्‍मत, कहा- हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा

लैंडर व‍िक्रम का इसरो स्टेशन से संपर्क टूटने के बाद पीएम मोदी ने जिस अंदाज में अपने देश के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया वह काबिले तारीफ है। जानें उन्‍होंने क्‍या बातें कही...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 12:06 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 12:34 PM (IST)
पीएम मोदी ने इसरो वैज्ञानिकों की बढ़ाई हिम्‍मत, कहा- हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा
पीएम मोदी ने इसरो वैज्ञानिकों की बढ़ाई हिम्‍मत, कहा- हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान शनिवार को तड़के चंद्रयान-2 के लैंडर व‍िक्रम का इसरो के स्टेशन से संपर्क टूट गया। इस घटना के बाद इसरो वैज्ञानिकों चेहरे गमगीन थे। इस घटना के दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी इसरो मुख्यालय में ही मौजूद थे। वैज्ञानिकों का हौसला न डिगे उन्‍हें इस बात का अहसास कराना जरूरी था। प्रधानमंत्री मोदी खुद को नहीं रोक पाए वह वैज्ञानिकों के बीच पहुंचे और उनसे कहा, 'देश को आप पर गर्व है। सर्वश्रेष्ठ के लिए उम्मीद करें। हौसला बनाए रखें, जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं। आपने जो किया है वह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।'

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आप कामयाबियों की इनसाइक्लोपीडिया हैं...
भारत के अगले स्‍पेस अभियानों के लिए वैज्ञानिकों का जोश कम न होने पाए। देश के नायक प्रधानमंत्री मोदी को इस बात का बरोबर भान था। वह सुबह आठ बजे एकबार फिर इसरो मुख्‍यालय पहुंचे और वैज्ञानिकों को उनके परुषार्थ का अहसास कराया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं आपसे प्रेरणा लेने के लिए सुबह-सुबह यहां पहुंचा हूं। मैं आपको क्या ज्ञान दूंगा... इसरो तो अपने आप में कामयाबियों की इनसाइक्लोपीडिया है। इसलिए नाकामयाबियों से घबराने की जरूरत नहीं है। हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है बल्कि मजबूत हुआ है।'

काफी करीब से महसूस की आपकी मनोदशा
प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को यह भी बताया कि वह रात में मुख्‍यालय से क्‍यों चले गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा, 'आप वो लोग हैं जो मां भारती की जीत के लिए जीते हैं, आप वो लोग हैं जो मां भारती की जीत के लिए जूझते हैं। आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए जज्‍बा रखते हैं। मां भारती का सर ऊंचा रहे इसके लिए आप पूरा जीवन खपा देते हैं। अपने सपनों को देश के सपनों में समाहित कर देते हैं। मैंने कल रात को आपकी मनोदशा काफी करीब से महसूस की। आपकी आंखें बहुत कुछ कह रही थी। आपके चेहरे की उदासी को मैंने पढ़ा था। इसलिए ज्‍यादा देर तक मैं आपके बीच नहीं रुका।'

मैंने भी उस पल को आपके साथ जीया
प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस मिशन की सफलता के लिए आप कई रातों से सोए नहीं थे। मैं कल रात को आपकी मनोदशा को काफी करीब से महसूस किया था। मेरा मन कर रहा था कि आपको सुबह बुलाऊं और आपसे बातें करूं। इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्‍यक्‍ति‍ एक अलग ही आवस्‍था में था। बहुत से सवाल थे... बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़े थे... और अचानक सब कुछ नजर आना बंद हो जाए... मैंने भी उस पल को आपके साथ जीया है। जब कम्‍यूनिकेशन ऑफ हुआ तो आप सब हिल गए थे... लेकिन इस रुकावटों से हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है, हमें आप पर गर्व है।'

...और मजबूत हुआ हमारा हौसला
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसा की वैज्ञानिक स्‍वभाव होता है। मैंने रात को देखा कि आप सबके मन में स्‍वाभाविक सवाल था। क्‍यों हुआ... कैसे हुआ... बहुत सी उम्‍मीदें थी। मैं देख रहा था कि उसके बाद भी आपने उम्‍मीद का दामन नहीं छोड़ा था। आपको लग रहा था कि अरे यार कुछ तो होगा। असल में इस उम्‍मीद के पीछे आपका परिश्रम था। पल पल आपने इसको बढ़ाया था। आज भले की कुछ रुकावटें आई हों। हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है... बल्‍की और मजबूत हुआ है। भले ही आखिरी कदम पर रुकावट आई हो लेकिन इससे हम अपनी मंजिल के रास्‍ते से डिगे नहीं हैं।

आप पत्थर पर लकीर खींचने वाले
प्रधानमंत्री ने कहा कि चूंकि विज्ञान की भाषा अलग है लेकिन यदि किसी कवि या साहित्‍यकार को हमारी इस घटना का वर्णन करना होता तो वह लिखता, हमने चांद का इतना रोमांटिक वर्णन किया कि वह चंद्रयान के भी स्‍वभाव में आ गया... और आखिरी कदम पर हमारा चंद्रयान चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा था। आज चांद को छूने की, उसे आगोश में लेने की हमारी इच्‍छाशक्ति और संकल्‍प पहले से ज्‍यादा मजबूत हुआ है। नतीजे अपनी जगह हैं, लेकिन अपने वैज्ञानिकों के प्रयासों पर गर्व है। हमारे वैज्ञानिक मक्खन पर लकीर खींचने वाले नहीं... वरन पत्थर पर लकीर खींचने वाले हैं।

हर कठिनाई कुछ नया सिखाकर जाती है... 
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखाकर जाती है। कुछ नए आविष्‍कार, कुछ नई टेक्‍नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है। इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती है। ज्ञान का सबसे बड़ा शिक्षक यदि कोई है तो वह विज्ञान‍ है। विज्ञान में विफलता होती ही नहीं है, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं। हर प्रयोग, हर प्रयास ज्ञान का बीज बोकर जाता है। नई संभावनाओं की नींव रखकर जाता है और हमें असीम सामर्थ का एहसास दिलाता है। भले ही चंद्रयान के सफर का आखिरी पड़ाव हमारी आशा के अनुकूल नहीं रहा हो। लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि चंद्रयान-2 का सफर शानदान रहा है। इस पूरे मिशन के दौरान देश अनेक बार गौरवान्वित हुआ है। अभी भी हमारा ऑर्बिटर पूरी शान से चंद्रमा का चक्‍कर लगा रहा है। 


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