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पाकिस्‍तान की चिंता को और बढ़ा देगा भारत-सऊदी अरब का करीब आना, जानें-कैसे

पीएम मोदी की सऊदी अरब यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में जो तेजी आई है उससे पाकिस्‍तान की चिंता बढ़ सकती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 03:12 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 12:36 AM (IST)
पाकिस्‍तान की चिंता को और बढ़ा देगा भारत-सऊदी अरब का करीब आना, जानें-कैसे
पाकिस्‍तान की चिंता को और बढ़ा देगा भारत-सऊदी अरब का करीब आना, जानें-कैसे

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। 'दावोस इन द डेजर्ट' को भारत-सऊदी अरब के रिश्‍तों में एक नई मजबूती के तौर पर देखा जा रहा है। आपको बता दें कि बीते तीन वर्षों में पीएम मोदी यह दूसरी सऊदी अरब की यात्रा थी। वर्ष 2016 में जब पीएम मोदी पहली बार सऊदी अरब गए थे तभी वहां के बादशाह ने उन्‍हें देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान से नवाजा था। इसके बाद वर्ष 2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस भारत के दौरे पर आए थे। सऊदी अरब भारत के लिए कई मायनों में बेहद खास है। इस रिश्‍ते की सबसे अहम बात ही यही है कि सऊदी अरब और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते वर्षों से काफी अच्‍छे रहे हैं और बेहद बुरे वक्‍त में सऊदी अरब ने पाकिस्‍तान की मदद की है।

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सऊदी अरब ने बढ़ाया पाक की मदद को हाथ  

वर्तमान में पाकिस्‍तान को आर्थिक संकट से निपटने के लिए भी सऊदी अरब ने ही मदद का हाथ बढ़ाया था। सऊदी क्राउन प्रिंस ने कुछ माह पहले ही पाकिस्‍तान का दौरा किया था। इतना ही नहीं, पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जब उनकी जान बख्‍शने के रूप में देश निकाला दिया गया था तो उन्‍होंने भी सऊदी अरब में ही राज परिवार के मेहमान के रूप में शरण ली थी। इसके अलावा शरीफ के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध हर तरह से बेहतर हुए थे। 

पाक-सऊदी अरब संबंधों में गिरावट 

हालांकि, अब यह रिश्‍ते कुछ हद तक बदल गए हैं। यह बदलाव कई वजहों से आया है। इसमें सबसे पहली और बड़ी वजह तो यही है कि सऊदी अरब अब लगातार अपनी कट्टर मुस्लिम राष्‍ट्र की छवि से बाहर निकल रहा है। इसके लिए उसने अपने यहां की महिलाओं को कई तरह के अधिकार दिए हैं, जिनका पूरी दुनिया ने स्‍वागत किया है। दूसरी वजह ये भी है कि सऊदी अरब के संबंध इस दौर में अमेरिका और भारत से काफी अच्‍छे हुए हैं। वहीं, पाकिस्‍तान से संबंधों में गिरावट आई है।

इमरान के यूएन भाषण से बढ़ी दूरी 

इसके अलावा पाकिस्‍तान से संबंधों में आई गिरावट की तीसरी बड़ी वजह यूएन आम सभा में दिया गया पाक पीएम इमरान खान का भाषण है। दरअसल, इमरान खान संयुक्‍त राष्‍ट्र की आम सभा में हिस्‍सा लेने सऊदी क्राउन प्रिंस के विमान में ही न्‍यूयॉर्क गए थे। इमरान के वहां जाने से पहले सऊदी क्राउन प्रिंस की तरफ से उन्‍हें कश्‍मीर का मुद्दा न उछालने और इसको सभी इस्‍लामिक राष्‍ट्रों से न जोड़ने की सख्‍त हिदायत दी थी। हालांकि, इमरान ने न सिर्फ उनकी इस बात को नजरअंदाज किया, बल्कि वह पीएम मोदी पर निजी हमला करने से भी नहीं चूके। इस बात से खफा सऊदी क्राउन प्रिंस ने अपना विमान तक वापस मांग लिया था, जिसके बाद इमरान को कमर्शियल प्‍लेन से स्‍वदेश आना पड़ा था। प्रिंस की नाराजगी को ही देखते हुए इमरान ने इसी माह दोबारा सऊदी अरब का दौरा किया था। 

भारत की बड़ी घोषणा 

सऊदी अरब में हुए फ्यूचर इन्वेस्‍टमेंट समिट जिसको 'दावोस इन द डेजर्ट' का नाम दिया गया में भारत ने सऊदी अरब में 100 बिलियन डॉलर का इन्वेस्‍टमेंट करने की घोषणा की है। बीत पांच वर्षों में यह सऊदी अरब में होने वाला करीब दोगुना निवेश है। भारत की तरफ से यह निवेश तेल और गैस के क्षेत्र में किया जाएगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि वर्ष 2017-18 में दोनों देशों के बीच व्‍यापार 27.48 बिलियन डॉलर का था। यहां पर एक और बात बेहद खास है। आपको बता दें कि भारत विश्‍व में तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीददार है। वहीं सऊदी इराक के बाद दुनिया का दूसरा बड़ा तेल सप्‍लायर है। भारत अपनी जरूरत का करीब 83 फीसद तेल बाहर से ही खरीदता है। वहीं वर्ष 2018-19 में सऊदी अरब ने भारत को 40.33 मिलियन टन क्रूड ऑयल बेचा था।  

निवेश के लिए सबसे अच्‍छा देश

अपनी इस यात्रा में पीएम मोदी ने भारत को निवेश करने लायक सबसे अच्‍छा देश बताया है। उनकी कोशिश अगले पांच वर्षों में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को दोगुना करना है। आपको बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी आरामको महाराष्‍ट्र के रिफाइनरी प्रोजेक्‍ट में निवेश कर रही है।यह एशिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी है जो हर वर्ष छह करोड़ टन तेल का उत्‍पादन करती है। पीएम मोदी का यह दौरा इस लिहाज से भी बेहद खास रहा, क्‍योंकि सऊदी अरब, कतर, कुवैत और यूएई के बाद मध्‍य एशिया का चौथा सबसे अमीर मुल्‍क है। 

भारत-सऊदी एक-दूसरे की जरूरत

फिलहाल भारत और सऊदी अरब दोनों को ही एक-दूसरे की जरूरत है। इसमें कोई शक नहीं है कि वर्तमान में पूरी दुनिया आर्थिक गिरावट से जूझ रही है। इसकी जद में सऊदी अरब भी है। वर्तमान में कच्‍चे तेल की कीमत में आई गिरावट की वजह से सऊदी अरब परेशान है। सऊदी अरब को इससे निकलने में भारत सहायक साबित हो सकता है। सऊदी की चिंता की वजह यमन में छिड़ी जंग भी है। इस वजह से उसका खर्च बढ़ गया है। आपको बता दें कि सऊदी अरब अब महज तेल और गैस के व्‍यापार से बाहर निकलकर दूसरे क्षेत्रों में निवेश करना चाहता है। इसके लिए वह उन देशों पर निगाह लगाए हुए है जहां पर भारत के संबंध काफी अच्‍छे है। जापान और दक्षिण कोरिया इन्‍हीं में शामिल हैं। इसके अलावा सऊदी अरब अब पर्यटन क्षेत्र में भी हाथ आजमाने में लगा है। भारत और सऊदी की बात करते ही वहां पर काम कर रहे 15 लाख भारतीयों का जिक्र आना बेहद लाजमी है। इन लोगों का वहां की अर्थव्‍यवस्‍था में अहम स्‍थान है। इस लिहाज से भी दोनों देश काफी करीब हैं।

पाकिस्‍तान को झटका 

पीएम मोदी की सऊदी यात्रा से पाकिस्‍तान को दोहरा झटका लगना तय माना जा रहा है। दरअसल, पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इस बात को कई मंच से कह चुके हैं कि चूंकि भारत के बाजार पर सभी देशों की निगाह लगी है और सभी देश वहां पर निवेश करना चाहते हैं, इसलिए उनके साथ कोई आने को तैयार नहीं है।पाकिस्‍तान पर लटकी एफएटीएफ की तलवार की वजह से भी सऊदी अरब पाकिस्‍तान से दूरी बनाकर रखना चाहता है। वहीं, पाकिस्‍तान के पूर्व आर्मी चीफ 39 देशों की इस्‍लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्‍म कोएलिशन के कमांडर इन चीफ हैं। इसके बाद भी तेल कंपनी आरामको पर हमला होना उनकी नाकामी को दर्शाता है। इस वजह से भी सऊदी अरब पाकिस्‍तान से नाराज है। भारत और सऊदी अरब में बढ़ता निवेश और संबंधों में आई तेजी पाकिस्‍तान के लिए भविष्‍य में बड़ी चिंता का विषय बन सकती है। 

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