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PM मोदी ने देश को नवाचार की राह पर आगे बढ़ाने के लिए ‘जय अनुसंधान’ का नारा किया बुलंद

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने ‘जय जवान’ ‘जय किसान’ के साथ ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया था। इस बार 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को नवाचार की राह पर आगे बढ़ाने के लिए इसे और विस्तार देते हुए ‘जय अनुसंधान’ का नारा बुलंद किया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 02:50 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 02:50 PM (IST)
PM मोदी ने देश को नवाचार की राह पर आगे बढ़ाने के लिए ‘जय अनुसंधान’ का नारा किया बुलंद
युवा पीढ़ी आसपास की समस्याओं का हल निकालने के लिए नवाचार के जरिए इसी राह पर आगे बढ़ रही है...

अंशु सिंह। अक्सर बच्चे-किशोर अपने इनोवेटिव आइडियाज से सभी को चौंका देते हैं। कोई सोच भी नहीं पाता और वे कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण जैसे तमाम क्षेत्रों से जुड़ी समस्याओं का आसान हल निकाल देते हैं। अच्छी बात यह भी है कि 21वीं सदी में उन्नत तकनीक की ताकत उन्हें सफलतापूर्वक प्रोटोटाइप तैयार करने में मदद कर रही है। स्कूलों-कालेजों में स्थापित अटल टिंकरिंग लैब के माध्यम से उनके भीतर छिपे इनोवेटर को उभरने का अवसर मिला है। नेशनल इनोवेशन मिशन एवं हनी बी नेटवर्क जैसी संस्थाएं बच्चों में ग्रासरूट इनोवेशन को पुरजोर तरीके से प्रोत्साहित कर रही हैं। तभी आज जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, उत्तर प्रदेश, झारखंड के छोटे-छोटे कस्बों व ग्रामीण इलाकों तक के बच्चे नवाचार के जरिये राज्य और देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

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संस्कार टाय से अच्छे-बुरे टच की पहचान

दोस्तो, कोरोना काल में आप सबने देखा कि कैसे अधिक समय घर में रहने के कारण इंटरनेट मीडिया ही मनोरंजन का बड़ा साधन बन गया था। लेकिन उससे साइबर क्राइम की घटनाएं काफी बढ़ गईं। इसके अलावा, देश में बाल यौन शोषण के मामले भी बड़े पैमाने पर सामने आते रहते हैं। अधिकतर मामलों में कम उम्र के बच्चे इसके शिकार हो जाते हैं। लेकिन शर्म और डर के कारण वे अपने माता-पिता से खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। बच्चे अच्छे और बुरे स्पर्श को समझ सकें, इसके लिए याकारा गणेश ने एक इनोवेटिव और आकर्षक तरीका खोज निकाला। उन्होंने 'संस्कार' नाम से एक खास टाय यानी खिलौना तैयार किया, जिसके जरिये बच्चे गुड टच और बैड टच के बीच के अंतर को आसानी से समझ सकते हैं। याकारा गणेश ने गुंडू भारद्वाज और डा एम.के कौशिक के साथ मिलकर इसे तैयार किया है। आंध्र प्रदेश के वारंगल के निवासी गणेश अब तक 25 इनोवेशन कर चुके हैं। खिलौने के बारे में वह बताते हैं, ‘यह 3 से 12 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए उपयुक्त है। इसमें एक सेंसर लगा है, जो अच्छे और बुरे टच के बीच अंतर करता है। किसी विशिष्ट अंग को छूने पर यह उसी के अनुसार संकेत देता है और बच्चे को उसके बारे में सचेत करता है।‘ गणेश के संस्कार टाय को बीते वर्ष सितंबर में पोलैंड में ई-इनोवेट पुरस्कार मिल चुका है।

शिशुओं की रक्षा के लिए बनाई डिवाइस

हमारे आसपास ऐसी बहुत-सी घटनाएं होती रहती हैं, जो हमें विचलित करती हैं। कई बार तो एक छोटी लापरवाही बच्चों की जान पर आफत बनकर आ जाती है। जैसे आपने सुना होगा कि माता-पिता बच्चे को अकेला गाड़ी में छोड़कर सामान खरीदने चले गए और बाद में बंद गाड़ी में दम घुटने से उसकी मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के सीतापुर की स्कूली छात्रा दक्षयानी पांडे को भी जब ऐसे हादसे की जानकारी हुई, तो उन्होंने इसका हल निकालने का फैसला लिया। दक्षयानी ने एक लो वर्जन आटोमोटिव प्रोटोटाइप मशीन तैयार की, जिससे शिशुओं-बच्चों की जान बचायी जा सके। इस प्रोटोटाइप में ‘एमक्यू 135’ नाम के सेंसर लगे हैं। इस सेंसर को एक माइक्रो कंट्रोलर और सर्वो मोटर से जोड़ा गया है। प्रोटोटाइप गाड़ी के अंदर कार्बन डाइआक्साइड (co2) की मात्रा को डिटेक्ट कर सकता है। जैसे ही co2 का स्तर खतरे के निशान को पार करता है, गाड़ी की खिड़की हल्की सी खुल जाती है और अंदर शुद्ध हवा (आक्सीजन) का प्रवेश होने लगता है।

इस्त्री करने के लिए सोलर आयरन कार्ट

रोजमर्रा की जरूरतों व दिक्कतों को दूर करने के अलावा बच्चे-किशोर पर्यावरण को लेकर भी उतने ही गंभीर हैं। इसकी एक बेहतरीन मिसाल तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई शहर की रहने वाली विनीशा उमाशंकर हैं। विनीशा पर्यावरणविद होने के साथ-साथ इको-इनोवेटर भी हैं। कुछ साल पहले उन्हें पता चला कि कैसे इस्त्री में इस्तेमाल होने वाले लकड़ी के कोयले यानी चारकोल को फेंक दिया जाता है। उसका दोबारा उपयोग नहीं किया जाता। इसके बाद ही विनीशा ने पारंपरिक चारकोल के बजाय लोहे के बाक्स को बिजली देने के लिए सौर पैनलों का उपयोग करके मोबाइल आइरनिंग यानी इस्त्री कार्ट डिजाइन किया। इस ‘सोलर आयरन कार्ट’ को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के इंजीनियरों के समूह ने इस्तेमाल लायक विकसित किया। विनीशा बताती हैं, ‘मैं जिस मोहल्ले में रहती हूं, वहां एक इस्त्री करने वाली गाड़ी है। प्रेस करने वाला रोजाना लोहे की भारी इस्त्री को गर्म करने के लिए लकड़ी का कोयला इस्तेमाल करता है। लेकिन इस्त्री करने के बाद वह जले हुए चारकोल को ठंडा करने के लिए जमीन पर फैला देता है और बाद में कचरे के साथ फेंक देता है। सभी इस्त्री वाले ऐसा ही करते हैं। इसने मुझे भारत में इस्त्री की गाड़ियों की संख्या, चारकोल की मात्रा और उससे प्रकृति को होने वाले नुकसान के बारे में सोचने पर मजबूर किया। मैंने शोध किया और पाया कि सौर ऊर्जा का उपयोग करने से लोहे के बक्से को गर्म करने के लिए लकड़ी के कोयले के उपयोग को प्रभावी रूप से रिप्लेस किया जा सकता है।‘

नवाचार में पहले स्थान पर कर्नाटक

हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी किए गए तीसरे इनोवेशन इंडेक्स के अनुसार, नवाचार के मामले में कर्नाटक ने फिर से पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ एवं पहाड़ी राज्यों में मणिपुर प्रथम रहा। यह उप्र, बिहार, मप्र, झारखंड, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा जैसे अन्य राज्यों के लिए चुनौती भी है कि वे प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप अपने यहां नवाचार-अनुसंधान को प्रोत्साहित करने का प्रयास करें।

हर बच्चे को अवसर देने की जरूरत

हनी बी नेटवर्क के संस्थापक प्रो.अनिल गुप्ता ने बताया कि आज की पीढ़ी समस्या के साथ रहने के बजाय उसका समाधान निकालने में विश्वास करती है। बच्चे भी इसमें पीछे नहीं हैं, सिर्फ उन्हें अवसर दिए जाने की जरूरत है। हालांकि स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब एवं इनोवेशन क्लब की स्थापना के बाद से उन्हें नये-नये प्रयोग करने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है। भारत में ग्रासरूट इनोवेशन सिस्टम अब राष्ट्रीय इनोवेशन सिस्टम का हिस्सा बन चुका है। 1988-89 में जब 'हनी बी नेटवर्क' की शुरुआत हुई थी, तो इनोवेशन को लेकर शायद ही इतनी चर्चा होती थी। ग्रासरूट इनोवेशन के बारे में कोई खास जागरूकता नहीं थी। फिर 'सृष्टि' और 'ज्ञान' (जीआइएएन) की स्थापना हुई और वर्ष 2000 में 'नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन' अस्तित्व में आया। हमने बच्चों की मौलिक रचनात्मकता एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम की स्मृति में 'इग्निटेड माइंड अवार्ड्स' भी शुरू किए।


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