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नौकरी छोड़कर भीख मांग रहे बच्चों को सिखाया पढ़ना-लिखना, PM भी तारीफ करने को हुए मजबूर

2015 में दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कुछ विद्यार्थियों ने निशुल्क शिक्षा देने के सफर की शुरुआत गीता कॉलोनी की झुग्गियों में रहने वाले 15 बच्चों से की थी।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 30 Apr 2018 08:06 AM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2018 09:12 AM (IST)
नौकरी छोड़कर भीख मांग रहे बच्चों को सिखाया पढ़ना-लिखना, PM भी तारीफ करने को हुए मजबूर
नौकरी छोड़कर भीख मांग रहे बच्चों को सिखाया पढ़ना-लिखना, PM भी तारीफ करने को हुए मजबूर

नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में ऐसे युवाओं का जिक्र किया, जिन्होंने भीख मांग रहे बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई। ऐसे बच्चों को साक्षर बनाने के लिए एक युवा ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी, जिसकी प्रधानमंत्री ने खुले मन से तारीफ की। 'सेव चाइल्ड बेगर' संस्था के बैनर तले कई युवा आज बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।

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2015 में दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कुछ विद्यार्थियों ने निशुल्क शिक्षा देने के सफर की शुरुआत गीता कॉलोनी की झुग्गियों में रहने वाले 15 बच्चों से की थी। आज वही युवा दिल्ली में अलग-अलग 12 जगहों पर दो हजार से अधिक बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। अब तक प्राथमिक शिक्षा देकर करीब 200 बच्चों को स्कूल में दाखिला करा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' में 15 बच्चों के साथ गीता कॉलोनी से सफर की शुरुआत का जिक्र करते हुए तारीफ की तो संस्था के सदस्य खुशी से गदगद हो उठे।

'सेव चाइल्ड बेगर' नाम की संस्था के संस्थापक कुंदन कांसकर ने बताया कि वह जिस समय कॉलेज जाते थे तो कई बच्चे सड़कों पर भीख मांगते नजर आते थे। इस नजारे ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर ऐसे बच्चों को शिक्षा देने की ठानी और 2015 से वह निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। इस समय 250 युवा इस काम से जुड़े हैं। कुछ युवा दिन में दो घंटे तो कुछ सप्ताह में कुछ दिन बच्चों को पढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री से तारीफ मिलने के बाद अब स्थानीय समाजसेवी एवं भाजपा नेता डॉ. वीके मोंगा ने भी हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है।

बच्चों को पढ़ाने के लिए छोड़ दी नौकरी

'सेव चाइल्ड बेगर' संस्था के संस्थापक कुंदन कांसकर ने बताया कि वह मूल रूप से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले हैं और पिता मध्य प्रदेश में सरकारी अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि वह 10 वर्षों से शकरपुर के स्कूल ब्लॉक में किराए पर रहते हैं और डीयू से पत्राचार (कॉरेस्पॉन्डेंस) से बीकॉम किया है। 2013 में वह नौकरी कर रहे थे, लेकिन समय नहीं मिल पाने के कारण बच्चों को शिक्षा नहीं दे पा रहे थे। इसलिए नौकरी छोड़ दी। 2015 से पहले वह खुद जगह-जगह जाकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते थे। बाद में अन्य युवाओं का साथ मिलने के बाद वह वकालत की तैयारी के साथ बच्चों को शिक्षित भी कर रहे हैं। कुंदन ने 'मन की बात' पर कहा कि नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो हम जैसे युवाओं के कार्यों पर नजर रखकर सराहना करते हैं। 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री से प्रशंसा सुनकर संस्था के सदस्य खुश हैं और प्रधानमंत्री को यकीन दिलाना चाहते हैं कि अब दोगुनी क्षमता से बच्चों को शिक्षित करेंगे।


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