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पीएम मोदी ने भारत को बताया लोकतंत्र की जननी, बोले- देश की उभरती शक्ति को उम्मीदों से देख रहा पूरा विश्व

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि भारत की उभरती शक्ति को दुनिया उम्मीदों से देख रही है। प्रधानमंत्री ने शनिवार को संविधान दिवस के मौके पर कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में पूरे विश्व की नजर भारत पर है।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Sat, 26 Nov 2022 11:20 PM (IST)Updated: Sat, 26 Nov 2022 11:20 PM (IST)
पीएम मोदी ने भारत को बताया लोकतंत्र की जननी, बोले- देश की उभरती शक्ति को उम्मीदों से देख रहा पूरा विश्व
पीएम मोदी ने भारत को बताया लोकतंत्र की जननी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि भारत की उभरती शक्ति को दुनिया उम्मीदों से देख रही है। प्रधानमंत्री ने शनिवार को संविधान दिवस के मौके पर कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में पूरे विश्व की नजर भारत पर है। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और भारत की मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच, दुनिया भारत को बहुत उम्मीदों से देख रही है। उन्होंने कहा कि अपनी स्थिरता के बारे में शुरुआती संशयों को दूर करते हुए देश आज पूरे साम‌र्थ्य से अपनी सारी विविधताओं पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।

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अमृतकाल देश के लिए कर्तव्य काल

प्रधानमंत्री ने नागरिकों को मौलिक कर्तव्यों का ध्यान दिलाते हुए कहा कि आजादी का ये अमृतकाल देश के लिए कर्तव्य काल है। चाहें व्यक्ति हों या संस्थाएं हमारे दायित्व ही आज हमारी पहली प्राथमिकता हैं। अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए ही हम देश को विकास की नई ऊचांई पर ले जा सकते हैं। आज भारत के सामने नित नये अवसर बन रहे हैं, भारत हर चुनौती को पार करते हुए आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बात संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित समारोह के उद्घाटन संबोधन में कही। प्रधानमंत्री ने इस दौरान मुंबई में 14 वर्ष पहले हुए 26 नवंबर को हुए आतंकी हमले को याद किया और उसमें मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर कानून मंत्री किरेण रिजेजू, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, कानून राज्य मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश व अटार्नी जनरल और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

जी-20 की अध्यक्षता देश के लिए बड़ा अवसर

प्रधानमंत्री ने बताया कि एक सप्ताह बाद भारत को जी-20 का अध्यक्ष पद मिल रहा है। ये बहुत बड़ा अवसर है। उन्होंने कहा कि ये हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम भारत का योगदान विश्व के सामने लेकर जाएं। टीम इंडिया के रूप में विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाएं। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की जो पहचान है उसे और सशक्त करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है जो खुला हुआ, भविष्योन्मुख और आधुनिक विजन वाला है। संविधान की भावना युवा केंद्रित है। खेल हो या स्टार्टअप, सूचना तकनीक हो या डिजिटल पेमेंट, भारत के विकास के हर आयाम में युवा शक्ति अपना परचम लहरा रही है। संविधान और संस्थाओं के भविष्य की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर ही है।

संविधान को लेकर समझ जरूरी

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान दिवस पर वह न्यायपालिका से एक आग्रह करते हैं कि युवाओं में संविधान को लेकर समझ बढ़े इसके लिए जरूरी है कि वे संवैधानिक विषयों पर डिबेट और चर्चा का हिस्सा बनें। जब संविधान बना, तब देश के सामने क्या परिस्थितियां थीं, संविधान सभा की बहसों में उस समय क्या हुआ था, हमारे युवाओं को इन विषयों की जानकारी होनी चाहिए। इससे उनकी संविधान को लेकर दिलचस्पी बढ़ेगी। युवाओं में समानता और सशक्तीकरण जैसे विषयों को समझने का विजन पैदा होगा। प्रधानमंत्री ने संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों का उदाहरण दिया और कहा दक्षिणायन वेलायुधन जैसी महिलाएं उसमें शामिल थीं जो वंचित समाज से निकल कर वहां पहुंची थीं। उन्होंने और भी कई महिला सदस्यों दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता, राजकुमारी अमृत कौर का उदाहरण दिया जिन्होंने मजदूरों वंचित वर्ग और महिलाओं से जुड़े विषयों में अहम योगदान दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा इनके योगदान की चर्चा कम ही हो पाती है। जब हमारे युवाओं को इन तथ्यों का पता चलेगा तो उन्हें अपने सवालों के जवाब मिल जाएंगे। इससे उनकी संविधान के प्रति निष्ठा बढ़ेगी जिससे हमारा लोकतंत्र, हमारा संविधान और देश का भविष्य मजबूत होगा।

पीएम ने किया संविधान की प्रस्तावना का उल्लेख

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में यह देश की आवश्यकता है और वह आशा करते हैं कि यह संविधान दिवस इस दिशा में हमारे संकल्पों को और ऊर्जावान बनाएगा। प्रधानमंत्री ने संविधान की प्रस्तावना की शुरुआत के शब्द हम भारत के लोग का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सिर्फ तीन शब्द नहीं हैं। हम भारत के लोग एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है। संविधान की यह भावना, उस भारत की मूल भावना है जो दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है। उन्होंने कहा आधुनिक युग में संविधान ने राष्ट्र की समस्त सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को अंगीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि लोकतंत्र की जननी होने के नाते, देश संविधान के आदर्शों को मजबूत बना रहा है। तथा जन अनुकूल नीतियां देश के निर्धनों व महिलाओं को अधिकार सम्पन्न कर रही हैं।

कानूनों को सरल और सुगम बनाने की कवायद

उन्होंने बताया कि आम नागरिकों के लिए कानूनों को सरल और सुगम बनाया जा रहा है तथा न्यायपालिका समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए अनेक पहलें कर रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कुछ परियोजनाओं का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने वर्चुअल जस्टिस क्लाक, जस्टिस मोबाइल एप 2.0, तथा डिजिटल कोर्ट और एस थ्री डब्लूएएएस वेबसाइट का उद्घाटन किया। इन चीजों से कोर्ट के फैसलों लंबित मुकदमों की जानकारी आनलाइन उपलब्ध होगी।

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