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पीएम मोदी ने की तारीफ तो राष्‍ट्रीय चर्चा में छाया है झारखंड का एक सरकारी स्‍कूल

झारखंड में पलामू के एक सरकारी स्‍कूल को लेकर पीएम मोदी ने ट्वीट कर इसकी तारीफ की है। इसके बाद ये स्‍कूल चर्चा का विषय बन गया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 10:59 AM (IST)
पीएम मोदी ने की तारीफ तो राष्‍ट्रीय चर्चा में छाया है झारखंड का एक सरकारी स्‍कूल
पीएम मोदी ने की तारीफ तो राष्‍ट्रीय चर्चा में छाया है झारखंड का एक सरकारी स्‍कूल

जागरण संवाददाता, मेदिनीनगर (पलामू)। आकर्षक रंग-रोगन से चकाचक भवन, साफ-सुथरे और सुसज्जित कमरे, रंगीन पेंट किए हुए दरवाजे, खिड़कियां व फर्नीचर और सुंदर परिसर में कदम-कदम पर खिले हुए फूलों के पौधे, जिन्हें देख किसी का भी मन हर्षित हो उठे। यह झारखंड के पलामू जिले के एक सरकारी स्कूल का परिसर है जो इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है।

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पीएम ने की तारीफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यह स्कूल बहुत भाया है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से स्कूल की तस्वीर को लाइक कर इसकी तारीफ की है। किसी बड़े निजी कॉन्वेंट स्कूल के परिसर का फील देने वाला यह स्कूल पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड के दुलसुलमा गांव में है। स्कूल का नाम उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुलसुलमा है और इसके कायाकल्प का श्रेय यहां की प्रधानाध्यापक अनिता भेंगरा को जाता है। अपने प्रयास से अनिता ने यह साबित किया कि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो पत्थरों पर भी फूल खिलाए जा सकते हैं।

निजी विद्यालयों को दे रहा मात

उनके प्रयास से यह सरकारी विद्यालय आज निजी विद्यालयों को भी मात दे रहा है। स्कूल के रंगरोगन से लेकर उसकी स्वच्छता तक देखते बन रही है। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लाइक कर इसकी गरिमा और भी बढ़ा दी है।प्रधानाध्यापक अनिता करीब 15 साल से अधिक समय से इस स्कूल में सेवा दे रही हैं। इससे पहले वह पलामू के एक प्रसिद्ध इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षिका थीं। 

शिक्षा का घोर अभाव 

अनिता बताती हैं कि उन्होंने विद्यालय जब ज्वाइन किया तो पाया कि गांव आदिवासी बहुल है और यहां शिक्षा का घोर अभाव है। उन्होेंने अपने स्कूल को अपने पुराने कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर विकसित करने की ठान ली। उन्होंने आसपास के बच्चों को धीरे-धीरे विद्यालय से जोड़ना शुरू किया। बच्चों की संख्या बढ़ी तो अब उनकी पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य व स्वच्छता थी। अपने शिक्षक साथियों की सहायता से योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू किया। इधर विद्यालय में शिक्षकों की संख्या घटती रही, इसके बाद भी उनके हौसले कम नहीं हुए। 

स्कूल का बदला कल्चर, बच्चे बोलने लगे अंग्रेजी 

अनिता जब विद्यालय की प्रधानाध्यापक बनीं तो उनका इरादा और दृढ़ हो गया। स्कूल में उनके अलावा केवल दो पारा शिक्षक और एक सहायक शिक्षिका ही हैं। ऐसे में उन्होंने कुछ सीनियर बच्चों को अपने अभियान से जोड़ा। एक टीम तैयार कर बच्चों को इंग्लिश प्रेयर, इंट्रोडक्शन, ग्रुप सांग, एकल गान, कंवर्सेशन, पेंटिंग आदि सिखाया और उनसे सहयोग लेकर छोटे क्लास के बच्चों को पढ़ाने में मदद ली। इसके बाद उन्होंने स्कूल में फूल, पौधे, नल और बिजली के कनेक्शन लगवाए। शौचालय बनवाए। पुस्तकालय भी विकसित किया। देखते ही देखते यह विद्यालय लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया। 

नीति आयोग के ट्वीट ने खींचा सबका ध्यान 

अनिता ने सीमित साधन में इतना कुछ किया तो नीति विभाग का ध्यान भी उनकी ओर गया। पिछले दिनों भारत सरकार के नीति आयोग ने बेहतर काम करने वाले देश के कुछ चुनिंदा स्कूल की तस्वीरों को अपने ऑफीशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया। इसमें यह स्कूल भी शामिल था। इसे पीएम मोदी, पीएमओ एचआरडी, झारखंड सीएमओ जैसे राष्ट्रीय नेता और संस्थाओं ने लाइक किया है।

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