PM Modi US Visit: पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा भारत की नई ताकत की बनेगी गवाह, रक्षा संबंधों पर रहेगा विशेष फोकस
रूस पर भारत की रक्षा निर्भरता खत्म करने के लिए अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की पेशकश की है। इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले महीने होने वाली अमेरिका यात्रा अहम साबित हो सकती है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। रूस पर भारत की रक्षा निर्भरता खत्म करने के लिए अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की पेशकश की है। इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले महीने होने वाली अमेरिका यात्रा अहम साबित हो सकती है। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की अगुआई में होने वाली बैठक में अत्याधुनिक रक्षा चुनौतियों के संदर्भ में वार्ता पर खास ध्यान दिया जाएगा। इसकी तैयारी के लिए दोनों देशों के बीच नई दिल्ली में पहला एडवांस डोमेन डिफेंस डॉयलाग गुरुवार को संपन्न हुआ।
दोनों देशों के बीच डिफेंस डॉयलाग
डायलॉग में भारतीय दल की अगुआई प्रमुख उप सह सचिव (रक्षा के लिए अंतरिक्ष नीति) विपिन नारंग ने की। वहीं, अमेरिकी दल का नेतृत्व इमर्जिंग कैपिबिलिटीज पॉलिसी ऑफिस के निदेशक माइकल होर्विट्ज ने किया। वहीं, अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अगले सप्ताह रक्षा मंत्री आस्टिन भारत पहुंचेंगे। उनकी यात्रा का अहम उद्देश्य दोनो देशों के रक्षा उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देना भी होगा।
अमेरिका-भारत के संबंधों में विस्तार के संकेत
जानकारों के मुताबिक, भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों की जो नींव पिछले पांच वर्षों में रखी गई है, अब उसका सही मायने में विस्तार दिख सकता है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की अगुआई में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता का दायरा उम्मीद के मुताबिक बहुत बड़ा रहेगा। रक्षा सहयोग इसका अभिन्न हिस्सा रहेगा।
रक्षा आपूर्ति श्रृंखला को लेकर बातचीत
दोनों देशों के बीच पिछले तीन-चार वर्षों से रक्षा आपूर्ति श्रृंखला को लेकर काफी बातचीत हुई है। रक्षा क्षेत्र से जुड़ी निजी कंपनियों के बीच अत्याधुनिक तकनीक के आदान-प्रदान को लेकर समझौते को भी सहमति मिल चुकी है, लेकिन जमीनी स्तर पर बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हुई। कोशिश होगी कि रक्षा उत्पादन में जमीनी स्तर पर परियोजनाओं की शुरुआत हो।
बता दें कि भारत अमेरिका का सबसे करीबी गैर नाटो रक्षा साझेदार है। रक्षा क्षेत्र में सूचनाओं के आदान-प्रदान से लेकर सैन्य अभ्यास तक में भारत अमेरिका का सबसे करीबी साझेदार है। इसके बावजूद भारत अपनी रक्षा जरूरतों का तकरीबन 55-60 प्रतिशत रूस से लेता है। भारत भी वैश्विक हालात को देखते हुए रक्षा आपूर्ति व सहयोग का विविधीकरण कर रहा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में दोनो देश सैन्य सहयोग की संभावनाओं पर भी विमर्श कर रहे हैं।