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पीएम-किसान निधि योजना: किसानों के आंकड़ों में गड़बड़ी, बैंकों के खाते में जमा पैसा वापस

पीएम-किसान योजना की किश्तों का पैसा सीधे लाभार्थी किसान के बैंक खाते में ही भेजा जाएगा लेकिन इसके लिए बैंकों के बचत खाते और जन धन खाते ही मान्य होंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 08:27 PM (IST)
पीएम-किसान निधि योजना: किसानों के आंकड़ों में गड़बड़ी, बैंकों के खाते में जमा पैसा वापस
पीएम-किसान निधि योजना: किसानों के आंकड़ों में गड़बड़ी, बैंकों के खाते में जमा पैसा वापस

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। खेत बाबा के नाम और बैंक खाता पोते के नाम का। यानी दस्तावेजों में किसान तो बाबा हैं, लेकिन पोते ने पीएम-किसान निधि योजना का पैसा लेने के लिए अपने बैंक खाते का ब्यौरा दर्ज करा दिया। इसी तरह खेत की मालिकिन तो पत्नी हैं, लेकिन पति ने योजना का लाभ लेने के लिए अपना बैंक खाता लिखा दिया। उधर, योजना के लाभार्थियों की संख्या में इजाफा करने के लिए ताबड़तोड़ कार्यवाही में लगभग तीन करोड़ खातों में धन जमा भी हो गया। लेकिन ज्यों ही इसकी भनक लगी, लगभग सवा लाख खातों से जमा कराई गई धनराशि वापस ले ली गई।

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इसे लेकर कई जगहों पर होहल्ला मचा, लेकिन गलती का एहसास होते ही लोगों ने चुप्पी भी साध ली। इस बारे में कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएम-किसान योजना की खामियों को दूर करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई। ताकि वास्तविक किसानों को इसका लाभ प्राप्त हो सके।

उन्होंने बताया कि कई राज्यों में सामाजिक तौर पर परिवार के बड़े बुजुर्गो की मृत्यु हुए बगैर परिवार के अन्य लोगों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाता है। लेकिन परिवार के लोग आपसी सहमति से जमीनों का बंटवारा कर खेती करते हैं, लेकिन पीएम-किसान योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिल पायेगा, जिन्हें जमीन का मालिकाना हक प्राप्त है। योजना की लांचिंग लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले हुई थी। इसमें एक करोड़ लोगों को एक साथ योजना की पहली किश्त दो हजार रुपये उनके बैंक खाते में जमा कराई गई थी।

मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि कुल 2.69 लाख किसानों के बैंक खाते और खेत के मालिक के नाम के बीच अंतर पाया गया। लेकिन सारे मामलों का सत्यापन करने से पहले ही 1.19 लाख बैंक खातों में पहली किश्त जमा हो गई। हालांकि 1.50 लाख किसानों की किश्तें जमा होने से पहले ही रोक ली गईं। लेकिन आंकड़ों के सत्यापन की रफ्तार तेज कर गलती पकड़ में आ गई और जिनके खाते में पैसा भेज दिया गया उनके बैंकों को निर्देश भेज दिये गये कि सत्यापन के बगैर पैसा रोक लिया जाए।

किसान के नाम और बैंक खाते में मिलान न होने की दशा में पहली किश्त का भेजा गया पैसा वापस ले लिया गया। यही वजह है कि योजना की पहली किश्त जहां तीन करोड़ बैंक खातों में भेजी गई, वहीं दूसरी किश्त केवल 2.66 करोड़ खातों तक पहुंच पाई। राज्यों से आ रहे किसानों के आंकड़ों में कई तरह की गड़बडि़यां पकड़ी जा रही हैं।

आयकर विभाग भी करेगा जांच

पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों के आंकड़ों की जांच के लिए सरकार ने पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम का गठन किया गया है। यह प्रणाली राज्यों से भेजे जा रहे किसानों का आंकड़ों को जांचती है, ताकि उसमें कोई कमी न रह जाए। इसी प्रणाली ने इस तरह की गड़बड़ी को पकड़ा। इसके लिए राज्यों को सख्त निर्देश भेजा गया है कि उन्हीं किसानों के नाम भेजे जाएं, जिनके अपने बैंक खाते हों। बैंक खाता और वास्तविक किसान के मिलान के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाए।

राज्यों की गलत सूचना के चलते इस तरह की गलती हुई है। कृषि मंत्रालय के आग्रह को स्वीकार करते हुए आयकर विभाग ने भी किसानों की सूची की जांच करने को राजी हो गया है। दरअसल, आयकर देने वाले किसानों को पीएम-किसान योजना का लाभ नहीं दिये जाने का प्रावधान है। दरअसल, योजना का लाभ आयकर जमा करने वाले किसानों को नहीं मिल पायेगा।

राज्यों से मंगाये जा रहे आंकड़ों के साथ आधार नंबर भी दर्ज किया जा रहा है, जिसके मार्फत इसका पता चल सकेगा। सरकारी नौकरी और 10 हजार रुपये से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

बचत व जनधन खाते में ही जाएंगी किश्तें

पीएम-किसान योजना की किश्तों का पैसा सीधे लाभार्थी किसान के बैंक खाते में ही भेजा जाएगा, लेकिन इसके लिए बैंकों के बचत खाते और जन धन खाते ही मान्य होंगे। अन्य दूसरे बैंक खाते मान्य नहीं होंगे। इसका उद्देश्य यह है कि चालू खाता और लोन वाले खातों में पैसा जाते ही बैंक उसे अपने उधारी में समायोजित कर सकते हैं। 

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