सिंध,बलूचिस्तान नहीं संभलता, कश्मीर पर गुमराह करता है पाक: पीएम मोदी
इस दौरान पीएम ने यहां आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए अंग्रेजी में कहा कि केरल 'गॉडस् ओन कंट्री' (भगवान का अपना देश) है।
कोझिकोड, आशुतोष झा । कोझीकोड के समुद्र तट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने काडर और पाकिस्तान को एक साथ संदेश दिया। उड़ी की आतंकी घटना के बाद उबल रहे जनमानस की भावना को समझते हुए एक मजबूत नेता की तरह जहां उन्होंने सख्त लहजे में पाकिस्तान को सीधी चुनौती दी और दोहराया कि भारतीय जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। वहीं, कुशल कूटनीतिज्ञ की तरह संतुलन साधते हुए पाकिस्तान को भारत के साथ गरीबी, बेरोजगारी और जनता से जुड़े मुद्दों पर प्रतिद्वंद्विता के लिए भी ललकारा।
गिलगिट और बलूचिस्तान का जिक्र कर पहले ही पाकिस्तान को बेचैन कर चुके मोदी ने अब पाकिस्तान की अवाम को उनके हुक्मरानों की करतूत का अहसास कराते हुए आशा जताई कि एक दिन वहां की जनता ही पाकिस्तानी हुक्मरानों को दुरुस्त करेगी।पिछले कई दिनों से मोदी की कोझिकोड रैली पर लोगों की ही नहीं खुद पार्टी कार्यकर्ताओं की भी नजरें लगी थीं। उड़ी की घटना के बाद यह मोदी की पहली जनसभा थी। माना जा रहा था कि वह गरजेंगे, वही हुआ। शाम के वक्त समुद्र की लहरें तो शांत थीं, लेकिन मोदी गरज रहे थे और सामने खड़ा जनमानस उत्साह में चीख रहा था।
आतंक फैलाने के लिए उन्होंने पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया, चेताया, चुनौती दी और फिर आईना भी दिखाया। अब तक के सबसे सख्त संदेश में उन्होंने कहा, 'हिंदुस्तान न कभी झुका है और न ही झुकेगा। आतंक को परास्त करके ही रहेगा। पड़ोसी देश के हुक्मरान आतंकियों के लिखे भाषण पढ़ते हैं, लेकिन पाकिस्तान और आतंकी कान खोलकर सुन लें कि देश इसे भूलने वाला नहीं है, भारतीय जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।' सीना ठोंकते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सेना शक्तिशाली है और पिछले कुछ महीनों में सौ से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार चुकी है।
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मंच पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर व अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'पीओके तो आपके पास है, लेकिन संभल नहीं रहा, गिलगिट, पख्तून और बलूचिस्तान भी बेहाल है, बांग्लादेश टूट कर अलग हो गया और आपको कश्मीर चाहिए.. भारत से हजार साल तक लड़ाई लड़ने की बात करते हैं तो फिर हमें भी चुनौती स्वीकार है।' उनका इतना कहना भर था कि भारी भीड़ भी गरज उठी। यह स्पष्ट संदेश था कि उन्होंने जनता के मर्म को समझ लिया था और विश्वास भी दिला दिया कि सरकार झुकेगी नहीं। आतंक के साथ कोई समझौता नहीं होगा। जरूरत पड़ी तो सख्त कार्रवाई से भी एतराज नहीं होगा। लेकिन देश के प्रधानमंत्री के तौर पर तत्काल संतुलन भी साध दिया।
चुनौती स्वीकार करने के साथ ही उन्होंने इसे भारत और पाकिस्तान के विकास से भी जोड़ दिया। हुंकार भरते हुए उन्होंने कहा, 'आओ हम लड़ाई लड़ते हैं और देखते हैं कि कौन जीतता है। यह संघर्ष होना चाहिए कि गरीबी, बेरोजगारी, सामाजिक विकास व अन्य मु्द्दों पर कौन आगे बढ़ता है। देश की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में कौन खरा उतरता है।'बता दें कि उड़ी की घटना के बाद तत्काल किसी कार्रवाई से बचते हुए भारत सरकार कूटनीतिक प्रयास कर पाकिस्तान को अलग थलग करने में जुटी है।
शनिवार को भी मोदी ने इसका उल्लेख किया और कहा कि सारे सुबूतों के साथ पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र की बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी जाने वाली हैं। जाहिर है कि मोदी ने इसका पूरा ध्यान रखा कि वहां पाकिस्तान को कोई मौका न मिले।
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