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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए क्यों नहीं है नियम कानून

मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के सबंध में प्रक्रिया और मानक तय करने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 05 Jul 2017 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jul 2017 08:42 PM (IST)
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए क्यों नहीं है नियम कानून
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए क्यों नहीं है नियम कानून

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के बारे में नियम कानून और मानक तय न होने पर बुधवार को सुप्रीमकोर्ट ने सवाल किये। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इस बारे में कोई कानून क्यों नहीं बना। संसद ने कोई कानून नहीं बनाया तो क्यों न कोर्ट मानक तय करे ताकि नियुक्तियों में पारदर्शिता कायम रहे। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि मानक न होने के बाबजूद भी आज तक जो लोग नियुक्ति हुए हैं वे काबिल और बेहतरीन रहे।

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मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के सबंध में प्रक्रिया और मानक तय करने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की। कोर्ट ने मामले में विस्तृत सुनवाई का मन बनाते हुए याचिका को दो माह बाद अंतिम सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस बीच याचिका का जवाब व प्रतिउत्तर दाखिल करने का काम पूरा कर लिया जाये। अनूप बर्नवाल ने सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया है और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की है।

बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324(2) में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति इस बारे में बने कानून के मुताबिक होगी। लेकिन आज तक इस बारे में कोई कानून ही नहीं बना। संसद से अपेक्षा थी कि वो कानून बनाएगी लेकिन नहीं बना तो क्या कोर्ट इस बारे में दिशानिर्देश और प्रक्रिया तय कर सकता है। इस पर रंजीत कुमार ने कहा कि जब संसद को कानून बनाने की जरूरत नहीं लगी तो फिर कोर्ट को विधायिका के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पीठ ने कहा नियम कानून तो होना ही चाहिए ताकि पारदर्शिता कायम रहे। ये महत्वपूर्ण मुद्दा है।

चुनाव आयुक्त निष्पक्ष चुनाव कराने में अहम भूमिका निभाते हैं। कोर्ट ने कहा कि वे इस मामले पर विस्तृत सुनवाई करेंगे और याचिका को दो माह बाद अंतिम सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कोर्ट चुनाव आयुक्तों की नियुक्त प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। इसके लिए एक तटस्थ और स्वतंत्र चयन समिति होनी चाहिए जो कि चुनाव आयोग में नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश करे। 

यह भी पढ़ें: SC ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति मामले में संसद को दिया कानून बनाने का सुझाव


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