बांग्लादेश सीमा पर स्टील के कंटीले तार लगाने की योजना नहीं चढ़ पा रही परवान
सीमापार से होने वाले अपराध और हत्याओं को रोकने के लिए बांग्लादेश सीमा पर स्टील के कंटीले तार लगाने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सीमापार से होने वाले अपराध और हत्याओं को रोकने के लिए बांग्लादेश सीमा पर स्टील के कंटीले तार लगाने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसका कारण है कि बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड ने इसे अभी तक हरी झंडी नहीं दी है। सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
बाड़बंदी से दोनों तरफ के लोगों के मारे जाने का बड़ा मुद्दा सुलझ जाएगा
उन्होंने बताया कि भारत घुसपैठ के लिहाज से संवेदनशील पूर्वी (बांग्लादेश) और पश्चिमी (पाकिस्तानी) सीमा के संवेदनशील स्थानों पर तारों की बाड़ लगाएगा। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तानी सीमा पर लगाए जाने वाले इस आधुनिक किस्म के तारों से आतंकी घुसपैठ रोकने में बड़ी मदद मिलेगी। इसके अलावा बांग्लादेश सीमा पर बाड़बंदी से दोनों तरफ के लोगों के मारे जाने का बड़ा मुद्दा सुलझ जाएगा। बाड़बंदी पर प्रति किलोमीटर दो करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें लगने वाला तार काटा नहीं जा सकेगा, उस पर कोई चढ़ नहीं पाएगा और उसमें जंग भी नहीं लगेगी।
सीमा पर रोकने पर जवानों पर होते हैं हमले
अधिकारी के अनुसार, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पूर्वी सीमा पर जब इन अपराधों को रोकता है तो उसके जवानों पर हमले होते हैं। इससे दोनों तरफ से लोग हताहत होते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2010-19 के बीच इस सीमा पर बीएसएफ के साथ झड़पों में 107 भारतीय तस्कर या अपराधी मारे गए। दूसरी तरफ, इन अपराधों में लिप्त 135 बांग्लादेशी नागरिक भी मारे गए। इस साल अब तक इस प्रकार की वारदातों में 18 बांग्लादेशी नागरिक मारे गए हैं। वर्ष 2010-19 तक इस तरह की 1890 से ज्यादा वारदातों को नाकाम बनाते हुए 11 बीएसएफ जवान शहीद हो गए, जबकि 960 घायल हुए।
परियोजना को चलाने के लिए दोनों देशों की सहमति जरूरी
बीएसएफ प्रवक्ता शुभेंदु भारद्वाज ने बताया कि बल ने कुछ साल पहले सीमा पर ऐसे अपराध से जुड़े क्षेत्रों में बाड़बंदी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) से अंतिम मंजूरी का अब तक इंतजार है। इस सीमा पर असम के सिल्चर में सात किलोमीटर के दायरे में नई तरह की बाड़बंदी की पायलट परियोजना चलाई भी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसी भी प्रकार की परियोजना को चलाने के लिए दोनों देशों की सहमति जरूरी है।