Lockdown: कोरोना निगेटिव प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने की मांग, SC में याचिका दायर
Lockdown SC में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार को ऐसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृहनगर और गांवों तक सुरक्षित यात्रा के लिए अनुमति देनी चाहिए जो टेस्ट में नेगेटिव हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट में आज एक जनहिय याचिका दायर कर उन प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की अनुमति मांगी गई, जो कोरोना नेगेटिव पाए गए हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार को इन प्रवासी मजदूरों को उनके गृहनगर और गांवों तक सुरक्षित यात्रा के लिए अनुमति देनी चाहिए और इसके लिए आवश्यक परिवहन(ट्रांसपोर्ट) भी उपलब्ध कराना चाहिए।
— ANI (@ANI) April 18, 2020
केंद्र की राज्यों से अपील
इससे पहले केंद्र ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों और जहां-तहां फंसे लोगों की सुरक्षा, आश्रय और भोजन का पर्याप्त प्रबंध सुनिश्चित करने को कहा है। महाराष्ट्र और गुजरात में प्रवासी कामगारों के बीच अशांति की हालिया घटनाओं के मद्देनजर इन निर्देशों की खासी अहमियत है।सरकारी परिपत्र के मुताबिक, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे अपने जिलों में प्रवासी कामगारों और फंसे हुए लोगों की व्यापक गणना करा सकते हैं और उन्हें भोजन व आश्रय प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध कर सकते हैं।
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर प्रवासी कामगारों की आश्रय और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी विस्तृत गाइडलाइंस का प्रभावी अनुपालन करने को कहा है। परिपत्र में राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे सभी जिलाधिकारियों को तत्काल हालात की समीक्षा करने का निर्देश दें। साथ ही वे सुनिश्चित करें कि प्रत्येक राहत शिविर का प्रभार किसी वरिष्ठ अधिकारी के पास हो। बयान के मुताबिक, 'लॉकडाउन के दौरान सभी प्रवासी कामगारों और फंसे लोगों को खाना उपलब्ध कराने के लिए वे नागरिक सामाजिक संगठनों और मिड-डे मील केंद्रों के नेटवर्क का सहयोग भी ले सकते हैं।'
इस संबंध में प्रवासी कामगारों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक मनो-सामाजिक काउंसलिंग भी प्रदान की जा सकती है। प्रवासी कामगारों से जुड़े मसलों के समन्वय और निगरानी के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति भी की जा सकती है। महानगरों में नगर आयुक्तों को कल्याणकारी कदमों के अमल की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।