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कोरोना से मरने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल

योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और फ्रंट लाइन वर्कर के लिए होनी चाहिए जो सबसे ज्यादा कोरोना के खतरे में रहते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 06:42 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 06:42 PM (IST)
कोरोना से मरने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल
कोरोना से मरने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें कोरोना महामारी से मरने वालों के परिजनों, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और कोरोना से लड़ रहे फ्रंट लाइन वर्कर के परिजनों को अनुदान या मुआवजे के तौर पर आर्थिक मदद दिए जाने की मांग की गई है। इसके साथ ही याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि राज्यों से कहा जाए कि वे कोरोना से हुई कुल मौतों और मुआवजे आदि के बारे में उठाए गए कदमों की विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें।

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भारत की ज्यादातर जनसंख्या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की है, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई याचिका

केरल के वकील हशिक थायकंडी ने अपनी याचिका में कहा कि भारत की ज्यादातर जनसंख्या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की है। अधिकांश मामलों में परिवार का एक सदस्य कमाता है और बाकी सदस्य जीवनयापन के लिए उसकी आय पर निर्भर रहते हैं।

सरकार कोरोना से मरने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद देने के लिए योजना तैयार करे

याचिका में कहा गया है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में जरूरी हो जाता है कि केंद्र सरकार कोरोना से मरने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद देने के लिए योजना अथवा गाइड लाइन तैयार करे, ताकि महामारी से लड़ाई में लगे फ्रंट लाइन वर्कर जैसे-डॅाक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ या सफाई कर्मचारी आदि के परिवारों को उनके न रहने के बाद गुजारे के लिए मदद मिल सके।

योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और फ्रंट लाइन वर्कर के लिए होनी चाहिए

याचिका में कहा गया है कि विभिन्न राज्य सरकारों ने अनुदान व मुआवजे की कुछ योजनाएं लागू कर रखी हैं, लेकिन देश के मौजूदा हालात को देखते हुए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट कानून की धारा 11 के तहत एक राष्ट्रीय योजना बनाना जरूरी हो जाता है। योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और फ्रंट लाइन वर्कर के लिए होनी चाहिए जो सबसे ज्यादा कोरोना के खतरे में रहते हैं। याचिका में पूर्व में आपदा के समय लागू की गई आर्थिक मदद की योजनाओं का भी हवाला दिया गया है-जैसे कच्छ में भूकंप और 2004 की सूनामी आदि।


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