Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल अधिनियम 1991 को चुनौती, PIL में दावा- आक्रमणकारियों द्वारा बनाए गए 'पूजा स्थलों' को मान्यता दे रहा ये कानून

PIL against Places of Worship Act पीआइएल में कहा गया है कि यह कानून आक्रमणकारियों द्वारा अवैध रूप से बनाए गए पूजा स्थलों को मान्य देने का काम कर रहा है। याचिका पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय ने अधिवक्ता राकेश मिश्रा के माध्यम से लगाई है।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 02:19 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 04:10 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल अधिनियम 1991 को चुनौती, PIL में दावा- आक्रमणकारियों द्वारा बनाए गए 'पूजा स्थलों' को मान्यता दे रहा ये कानून
पूजा स्थल अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआइएल दाखिल। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पूजा स्थल अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act) को चुनौती देने का मामला सामने आया है। एक जनहित याचिका (PIL)  में इस अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। पीआइएल में कहा गया है कि यह कानून देश में आए बर्बर आक्रमणकारियों द्वारा अवैध रूप से बनाए गए 'पूजा स्थलों' को मान्य देने का काम कर रहा है, इसलिए इसे असंवेधानिक घोषित किया जाना चाहिए। बता दें कि यह याचिका पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय ने अधिवक्ता राकेश मिश्रा के माध्यम से लगाई है।

prime article banner

हिंदुओं, जैन, बौद्ध और सिखों के अधिकारों का हनन

याचिकाकर्ता का कहना है कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 3 अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 का उल्लंघन कर रही है और असंवैधानिक है। पीआइएल में कहा गया है कि अनुच्छेद 13 (2) राज्य को भाग- III के तहत दिए गए अधिकारों को छीनने के लिए कानून बनाने से रोकने में काबिल तो है लेकिन अधिनियम हिंदुओं, जैन, बौद्ध और सिखों के उनके 'पूजा स्थलों और तीर्थों' को बचाने का अधिकार को छीनता है।

अनुच्छेद 29 पर उठाए गए सवाल

जनहित याचिका में आगे कहा गया है कि अनुच्छेद 29 के तहत गारंटीकृत हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों, सिखों की लिपि और संस्कृति को बहाल करने और संरक्षित करने के अधिकार को अधिनियम द्वारा खुले तौर पर ठेस पहुंचाई गई है।

पहले भी 7 याचिकाएं हो चुकी दाखिल

बता दें कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले भी 7 याचिका दाखिल हो चुकी है। इससे पहले कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी याचिका दाखिल की थी। इस याचिका को मिलाकर अब तक कुल 8 याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दाखिल हो चुकी है। इसमें देवकीनंदन ठाकुर की ओर से अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय, वाराणसी के रहने वाले रुद्र विक्रम और धार्मिक नेता स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती द्वारा डाली गई याचिका शामिल है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.