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तमिलनाडु के सीएम को गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने से रोकने संबंधी याचिका खारिज

राजाराजन ने याचिका में आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ने 24 जून को सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि पीड़ितों की मौत बीमारी की वजह से हुई थी

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 08:07 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 08:16 PM (IST)
तमिलनाडु के सीएम को गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने से रोकने संबंधी याचिका खारिज
तमिलनाडु के सीएम को गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने से रोकने संबंधी याचिका खारिज

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया जिसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी को तब तक राज्य के गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने से रोकने की मांग की गई थी जब तक पिता-पुत्र पी. जयराज और जे. बेनिक्स की तूतीकोरिन जिले में पुलिस हिरासत में मौत मामले की जांच और सुनवाई पूरी नहीं हो जाती।

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प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और एएस बोपन्ना की पीठ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान इस मसले पर अधिवक्ता ए. राजाराजन की दलीलों से सहमत नहीं हुई। पीडि़तों के परिवारिक सदस्यों के बयानों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया था कि पिता-पुत्र को सथनकुलम पुलिस स्टेशन के कर्मियों ने गंभीर शारीरिक यातनाएं दी थीं और उनकी मौत की वजह हिरासत में दी गईं यातनाएं थीं।

भूमिका की भी होनी चाहिए जांच

राजाराजन ने याचिका में आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ने 24 जून को सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि पीड़ितों की मौत बीमारी की वजह से हुई थी। मुख्यमंत्री के पास गृह मंत्रालय का भी कार्यभार है और उक्त बयान देकर उन्होंने इस मामले में कुछ भी गलत होने की संभावना को नकार दिया था। लिहाजा उनके गृह मंत्रालय का मुखिया बने रहने से स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कतई संभव नहीं है। इसके अलावा आइपीसी की धारा-302 के आरोपितों को बचाने में अपने पद के इस्तेमाल में उनकी भूमिका की जांच भी होनी चाहिए।

दर्ज की गई थी एफआइआर

मालूम हो कि शुरुआत में पिता-पुत्र की मौत का कारण जानने के लिए इस मामले में सीआरपीसी के तहत एफआइआर दर्ज की गई थी। बाद में परिवार ने कुछ गलत होने का आरोप लगाते हुए 23 जून को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। इस घटना के बाद लोगों में आक्रोश भी भड़क गया था जिसके बाद मद्रास हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच से संबंधित कुछ निर्देश जारी किए थे। हाई कोर्ट के आदेश पर एक जुलाई को सीबी-सीआइडी के डीएसपी ने इस मामले की जांच संभाली थी और पहली नजर में पाया था कि कुछ पुलिसकर्मियों ने पीडि़तों को यातनाएं दी थीं। अब एफआइआर में हत्या की धाराएं जोड़ दी गई हैं और उस पुलिस स्टेशन के तत्कालीन इंस्पेक्टर व सब-इंस्पेक्टर समेत कुछ पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पिता-पुत्र को पुलिस ने 19 जून को लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन कर निर्धारित समय से अधिक समय तक मोबाइल फोन की दुकान खोलने के लिए गिरफ्तार किया था।


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