नशे की चेतावनी का आकार बढ़ाने को याचिका
अदालत ने कहा कि याचिका को ज्ञापन के रूप में लेकर उचित फैसला लिया जाए। केंद्र व दिल्ली सरकार के वकील ने पक्ष रखने के लिए समय मांगा है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देश की करीब 25 फीसद आबादी शराब व आठ फीसद चरस, अफीम, गांजा आदि नशीले पदार्थाें की जद में है। यह दावा करते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि शराब की बोतलों और अन्य नशीले पदार्थ पर दी जाने वाली चेतावनी का आकार बढ़ाया जाए। साथ ही नशे से दूर रहने के लिए चलाई जा रही योजनाओं का बजट बढ़ाया जाए।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि याचिका को ज्ञापन के रूप में लेकर उचित फैसला लिया जाए। केंद्र व दिल्ली सरकार के वकील ने पक्ष रखने के लिए समय मांगा है। मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
याचिकाकर्ता समाजसेवी वेदपाल के वकील अंजू जैन व ऋषिपाल ने अदालत में कहा कि केंद्र व दिल्ली सरकार लोगों को शराब के हानिकारक पहलुओं से अवगत कराने की दिशा में कुछ नहीं कर रही हैं। दिल्ली सरकार को शराब की बिक्री से शुल्क के रूप में वर्ष 2011 में 19,417.05 लाख रुपये, वर्ष 2014 में 29,690.60 लाख व वर्ष 2015 में 31,200.61 लाख रुपये की आय हुई। गुजरात, नागालैंड, लक्षद्वीप, केरल आदि आदि राज्यों में शराब पर प्रतिबंध है। ठोस कदम न उठाने के कारण शराब की तस्करी हो रही है। 19 राज्यों में शराब की सर्वाधिक खपत पंजाब में और सबसे कम असम में है।
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