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धर्म का मर्म समझाने के लिए दायर याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इस विषय पर हम विशेषज्ञ नहीं

कोर्ट यदि एक बार धर्म शब्द की व्याख्या कर दे तो देश में धर्म को लेकर होने वाले झगड़े बंद हो जाएंगे। 87 वर्षीय याचिकाकर्ता रमेशचंद्र विट्ठलदास सेठ ने अपनी याचिका में कोर्ट से धर्म शब्द की व्याख्या करने का आग्रह किया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 09:32 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 09:32 PM (IST)
धर्म का मर्म समझाने के लिए दायर याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इस विषय पर हम विशेषज्ञ नहीं
याचिका वापस लेने का निर्देश न मानने पर बुजुर्ग की याचिका खारिज।

नई दिल्ली, प्रेट्र। धर्म के मर्म की व्याख्या की मांग के लिए एक बुजुर्ग की ओर से दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। यह याचिका मुख्य न्यायाधीश एसए बोवडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी।

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87 वर्षीय याचिकाकर्ता ने कोर्ट से धर्म शब्द की व्याख्या करने का आग्रह किया था

लगभग 87 वर्षीय याचिकाकर्ता रमेशचंद्र विट्ठलदास सेठ ने अपनी याचिका में कोर्ट से धर्म शब्द की व्याख्या करने का आग्रह किया था। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अपना पक्ष रखते हुए सेठ ने कहा कि संविधान के बहुत से अनुच्छेदों में धर्म के बारे में उल्लेख किया गया है, लेकिन धर्म क्या है इसके बारे में कहीं उल्लेख नहीं है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट एक बार यह बात स्पष्ट कर दे तो देश में धर्म के नाम पर होने वाले सांप्रदायिक दंगे समाप्त हो जाएंगे और शांति कायम हो जाएगी।

पीठ ने कहा- कोर्ट याचिकाकर्ता की उम्र का लिहाज करती है

पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और बी रामासुब्रहमण्यन भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की उम्र का लिहाज करती है, लेकिन यह विषय ऐसा है कि वह उसमें दखल नहीं दे सकती।

कोर्ट यदि एक बार धर्म शब्द की व्याख्या कर दे तो देश में झगड़े बंद हो जाएंगे

मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि आखिर इस उम्र में वे यह मामला क्यों उठा रहे हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वे पिछले पचास वर्षो से लोगों को धर्म के बारे में बता रहे हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि कोर्ट यदि एक बार धर्म शब्द की व्याख्या कर दे तो देश में धर्म को लेकर होने वाले झगड़े बंद हो जाएंगे।

पीठ ने कहा- इस विषय में हमें कोई विशेषज्ञता नहीं

इस पीठ ने कहा कि उनके पास इस विषय के बारे में कोई विशेषज्ञता नहीं है। बेहतर होगा कि वे इस बारे में केंद्र सरकार को प्रतिवेदन दें। इस पर सेठ ने कहा कि वे केंद्र सरकार को कई बार प्रतिवेदन दे चुके हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इस पर कोर्ट ने उन्हें अपनी याचिका वापस लेने को कहा। इसके लिए तैयार न होने पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।


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