कोरोना वायरस से बचने के प्रोटोकाल में योगासनों को शामिल करने के लिए SC में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वैश्विक महामारी से बचने के प्रोटोकाल में योग आसनों को भी शामिल करने की मांग वाली एक याचिका दायर की गई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से बचने के प्रोटोकाल में योग आसनों को भी शामिल करने की मांग वाली एक याचिका दायर की गई है। भाजपा नेता और याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने बुधवार को दायर याचिका में कहा कि आयुष मंत्रालय कोरोना संक्रमण से बचने के लिए योगासनों का प्रोटोकाल विकसित जारी करने में विफल रहा है। उन्होंने मांग की कि कोरोना प्रोटोकाल के अलावा भी अन्य रोगों से मुकाबला करने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने के योगासनों के प्रोटोकाल जारी किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनता की परेशानी बढ़ रही है क्योंकि वैश्विक महामारी की अब तक कोई दवा या वैक्सीन इजाद नहीं की जा सकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित योगासन करके वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। लेकिन आयुष मंत्रालय ने अभी तक इस संबंध में कोई कोविड योगासन प्रोटोकाल जारी नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्रालय ने हृदय रोग, मधुमेह, ट्यूमर, पाचन, बुखार और संक्रमण आदि के लिए भी कोई योगा प्रोटोकाल जारी नहीं किया है।
अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती है। कबीर दास जी भी कह गए हैं, ‘अति का भला न बोलना, अति की भली न चुप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।’ ऐसा ही कुछ कोरोना संक्रमण के कारण भारी डिमांड में आए आयुर्वेदिक काढ़े के साथ भी है। आयुर्वेद में मानव शरीर का इलाज वात, पित्त और कफ में बांटा गया है। भोजन से लेकर चिकित्सा तक इसी आधार पर होती है। इसके साथ ही खान-पान को भी मौसम के अनुसार बांटा गया है।
लोगों ने काढ़े को रामबाण समझ लिया है और हर कुछ घंटे के बाद वे कोरोना से बचाव के लिए काढ़ा पी लेते हैं। इस संबंध में आयुर्वेद के विशेषज्ञ भी चेतावनी देते हैं। उनका कहना है कि जरूरत से ज्यादा काढ़ा शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है। यदि आपको लगातार पीने के बाद कोई परेशानी महसूस हो तो अपने डॉक्टर या फिर आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। आइये जानते हैं कि काढ़े से होने वाले संभावित नुकसान और उसके कारणों के बारे में।