अदालत की अवमानना एक्ट पर उठाया सवाल, प्रशांत भूषण ने दायर की याचिका
प्रशांत भूषण के खिलाफ वर्ष 2009 से अवमानना का यह मामला लंबित था जिसपर अब कार्यवाही शुरू की गई है।
नई दिल्ली, एएनआइ। एन राम (N Ram), अरुण शौरी (Arun Shourie) और वकील प्रशांत भूषण ( Prashant Bhushan) ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) में शनिवार को याचिका दायर की। इसमें कोर्ट की अवमानना अधिनियम (Contempt of Courts Act) , 1971 की धारा 2(c)(i) के संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। प्रशांत भूषण के खिलाफ वर्ष 2009 से अवमानना का यह मामला लंबित था जिसपर अब कार्यवाही शुरू की गई है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अधिनियम असंवैधानिक है और संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। एन राम, अरुण शौरी और भूषण के अनुसार ये संविधान द्वारा प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत की अवमानना की धारा 2 (सी) (आई) को चुनौती दी है। अर्जी में कहा गया है कि कोर्ट को अपमानित करने वाले बयान पर लगने वाली ये धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के कुछ प्रावधानों को रद कर दे। याचिका में तर्क दिया गया है कि लागू उप-धारा असंवैधानिक है क्योंकि यह संविधान के प्रस्तावना मूल्यों और बुनियादी विशेषताओं के साथ असंगत है।
एन राम, अरुण शौरी और भूषण द्वारा दायर की गई याचिका में अदालत की अवमानना धारा 2 (सी) (आई) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 और 14 का उल्लंघन करती है।
सुप्रीम कोर्ट के सात रिटायर्ड जज और हाईकोर्ट के 2 रिटायर्ड जजों सहित 131 हस्तियों ने भूषण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्विट्स करने के आरोप में 22 जुलाई को अवमानना की कार्यवाही को लेकर नोटिस जारी किया था।
जस्टिस रूमा पाल, जी.एस.सिंघवी, ए.के. गांगुली, गोपाला गौड़ा, आफताब आलम, जस्ती चेलमेश्वर और विक्रमजीत सेन ने अवमानना की कार्यवाही वापस लेने का आह्वान किया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों के अलावा हाईकोर्ट के भी 2 पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अंजना प्रकाश और जस्टिस एपी शाह भी प्रशांत भूषण के समर्थन में आए हैं।
बता दें कि एक सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन लोकुर और लेखक अरुंधति राय समेत 130 से अधिक लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ शुरू की गई अदालत की अवमानना की कार्यवाही पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया। दरअसल, कोर्ट ने प्रशांत भूषण के दो ट्वीट पर स्वत: संज्ञान लिया है और उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करते हुए नोटिस जारी कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि उनके बयानों से प्रथम दृष्टया न्याय के प्रशासन की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। साथ ही कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सहयोग की अपील की थी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने प्रशांत भूषण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मामले की सुनवाई 5 अगस्त को होगी।