'व्यक्ति की निजता सर्वोच्च, उसे भंग नहीं किया जाना चाहिए'
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने गुरुवार को कहा कि व्यक्ति की निजता सर्वोच्च होती है और उसे भंग नहीं किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने गुरुवार को कहा कि व्यक्ति की निजता सर्वोच्च होती है और उसे भंग नहीं किया जाना चाहिए। एमसी सीतलवाड़ मेमोरियल लेक्चर में जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, वह हमेशा मानते हैं कि निजता एक संवैधानिक अवधारणा और एक ऐसा क्षेत्र है जहां मानवाधिकार और उनका कार्यान्वयन संवैधानिक अधिकारों से टकराते हैं।
निजता पर बोले CJI
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मेरा घर मेरा महल है, आप मुझे मेरे घर में कैसे परेशान कर सकते हैं। वकील होकर भी आपको मेरे साथ कोई अप्वाइंटमेंट लेना होगा। मेरा समय मेरा है और मेरी जिंदगी मेरी जिंदगी है।'
लैंगिंक समानता पर कहा
लैंगिंक समानता पर बोलते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने मध्य प्रदेश के पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण के प्रस्ताव का जिक्र किया। उन्होंने कहा, यह दलील कि महिलाएं प्रशासन नहीं चला सकतीं और उन्हें अपने पतियों पर निर्भर रहना होगा, पूरी तरह असंगत थी। प्रधान न्यायाधीश ने साफ कहा, 'कई मामलों में महिलाएं पुरुषों से बेहतर होती हैं।' उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकार प्रगतिशील हैं और लोकतंत्र की खातिर उनका विकास नहीं रुकना चाहिए क्योंकि ये लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान देते हैं।