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मताधिकार से वंचित किए जा सकते हैं एनआरसी से बाहरवाले

अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अब तक 40 लाख में से सिर्फ 10 लाख लोगों ने ही असम के नागरिक के रूप में नाम दर्ज करने के लिए प्रासंगिक दस्तावेज जमा कराए हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 05:48 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 05:48 PM (IST)
मताधिकार से वंचित किए जा सकते हैं एनआरसी से बाहरवाले
मताधिकार से वंचित किए जा सकते हैं एनआरसी से बाहरवाले

नई दिल्ली, प्रेट्र : असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची से बाहर रहने वाले लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। एनआरसी मसौदे पर दावों और आपत्तियों को जमा कराने की आखिरी तारीख अगले हफ्ते खत्म हो रही है, उसके बाद एनआरसी की अंतिम सूची जारी की जाएगी। वहीं, सरकार ने यह भी कहा है कि लोग अधिकृत दस्तावेजों के साथ ही नागरिकता का दावे करें, ऐसा नहीं करने पर उनके दावों को नहीं माना जाएगा।

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अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अब तक 40 लाख में से सिर्फ 10 लाख लोगों ने ही असम के नागरिक के रूप में नाम दर्ज करने के लिए प्रासंगिक दस्तावेज जमा कराए हैं। असम में एनआरसी की मसौदा सूची में 40 लाख लोगों के नाम नहीं थे। अधिकारियों के मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिकता के संबंध में दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाता है तो उसे मताधिकार से वंचित किया जा सकता है। हालांकि, ऐसे लोगों के बारे में आखिरी फैसला सुप्रीम कोर्ट ही करेगा, जो असम में एनआरसी के इस अभियान की निगरानी कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही एनआरसी की मसौदा सूची पर दावे और आपत्तियां दायर करने की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू हुई थी, जो 15 दिसंबर तक चलेगी। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एनआरसी की सूची से जिन लोगों के नाम बाहर रह गए थे, उन्हें खुद को भारतीय नागरिक साबित करने के लिए पर्याप्त मौके दिए गए। अगर कोई भारतीय नागरिक होने का दावा नहीं करता है तो इसका मतलब है कि उसके पास इस संबंध में आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं।

हालांकि, एनआरसी की अंतिम सूची में जिन लोगों के नाम नहीं होंगे, उन्हें नागरिकता न्यायाधिकरण और उसके बाद सक्षम कोर्ट में एनआरसी प्राधिकरण के फैसले के खिलाफ चुनौती देने का अधिकार होगा।

आपको बता दें कि एनआरसी के मसौदा को 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया था। इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.9 करोड़ लोगों के ही नाम शामिल थे। 40 लाख लोगों के नाम बाहर कर दिए गए थे। तभी से इसको लेकर विवाद शुरू हो गया था।

सही दस्तावेज देने पर ही विचार

इस बीच, गुवाहाटी में जारी एक सरकारी बयान में कहा गया है कि एनआरसी की अंतिम सूची में नाम दर्ज कराने के लिए जिन जरूरी दस्तावेजों का उल्लेख सूची ए और बी में किया गया है, उससे अलग दस्तावेज जमा कराने वाले लोगों के दावे को स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह भी कहा गया है कि जो लोग पहले दस्तावेज जमा करा चुके हैं, उन्हें दोबारा दस्तावेज जमा कराने की जरूरत नहीं है।


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