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खतरे की घंटी! लोगों की नींद चुरा रहा सोशल मीडिया, नहीं लिया सबक तो...

भारतीय वायुसेना प्रमुख ने गंभीर चिंता जताई है कि सोशल 65 % मीडिया के चलते वायुसेना के पायलट अपनी नींद नहीं पूरी कर पा रहे हैं, जो दुर्घटनाओं का सबब बन रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 09:11 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 10:39 AM (IST)
खतरे की घंटी! लोगों की नींद चुरा रहा सोशल मीडिया, नहीं लिया सबक तो...
खतरे की घंटी! लोगों की नींद चुरा रहा सोशल मीडिया, नहीं लिया सबक तो...

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में इतना पैबस्त हो चुका है कि अब विसंगतियां दिखने लगी हैं। भारतीय वायुसेना प्रमुख ने गंभीर चिंता जताई है कि सोशल 65 % मीडिया के चलते वायुसेना के पायलट अपनी नींद नहीं पूरी कर पा रहे हैं, जो दुर्घटनाओं का सबब बन रही है। उन्होंने कहा कि 2013 में राजस्थान बाड़मेर के पास लड़ाकू विमान इसी वजह से दुर्घटनाग्रस्त हुआ था क्योंकि पायलट की नींद पूरी नहीं हुई थी। दरअसल यह केवल एक वायुसेना की चिंता नहीं है, समाज में इसकी विसंगतियां विभिन्न रूपों में दिख रही है। लोग सोशल मीडिया के लती होते जा रहे हैं, जिससे उनकी उत्पादकता भी घट रही है।

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दिनचर्या पर असर
सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। ये इंसान के सोने जागने के चक्र को प्रभावित करता है। इंसान की दिनचर्या बिगड़ने लगती है। इसका प्रतिकूल असर समान रूप से मानसिक और शारीरिक होता है। व्यक्ति की उत्पादक क्षमता प्रभावित होती है। इसके साथ ही इससे तनाव, चिड़चिड़ाहट, अवसाद, नकारात्मकता और अकेलेपन जैसी समस्या भी बढ़ती है।

जिंदगी में बढ़ता दखल
देश में एक आम इंसान मोबाइल इस्तेमाल में 70 फीसद समय फेसबुक, वॉट्सएप, यूट्यूब और अन्य मनोरंजक एप्स पर खर्च करता है। सिर्फ 30 फीसद समय फोन पर बात करने व अन्य मोबाइल संबंधी कामों में बिताता है। अपने दिन के करीब 200 मिनट सोशल मीडिया चलाने में निकाल देता है। सोशल मीडिया में 95 फीसद फेसबुक, वाट्सएप और यूट्युब इस्तेमाल होता है। 2022 तक भारत में तकरीबन 37 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स होंगे।


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