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'गुड सेमेरिटन' कानून बनने के बावजूद 59% मददगार हो रहे पुलिस उत्‍पीड़न का शिकार

2016 में बना गुड सेमेरिटन कानून आमतौर पर उन लोगों को बुनियादी कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जो घायल या खतरे में पड़े व्यक्ति की सहायता करते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 28 Nov 2018 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 09:57 AM (IST)
'गुड सेमेरिटन' कानून बनने के बावजूद 59% मददगार हो रहे पुलिस उत्‍पीड़न का शिकार
'गुड सेमेरिटन' कानून बनने के बावजूद 59% मददगार हो रहे पुलिस उत्‍पीड़न का शिकार

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा विभिन्न शहरों में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक किसी हादसे में मदद करने वाले (गुड सेमेरिटन) 59 फीसद लोगों ने माना कि मदद के एवज में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। सर्वे में पता चला है कि भारत में 10 में से आठ लोगों को नहीं पता कि गुड सेमेरिटन कानून-2016 क्या है। सर्वे में ये भी पता चला है कि पीड़ितों की मदद करने के मामले में लोगों की सामान्य इच्छा का फीसद भी बढ़ा है। यह साल 2013 में 26 फीसद था जो साल 2018 में बढ़कर 88 फीसद हो गया है।

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ऐसे हुआ सर्वे

दिल्ली, कानपुर, वाराणसी, लुधियाना, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, इंदौर, जयपुर और कोलकाता जैसे शहरों में सर्वे किया गया है। इसमें 3667 लोगों का इंटरव्यू लिया गया, जिसमें आम लोग, गुड सेमेरिटन, पुलिस अफसर, डॉक्टर, अस्पताल प्रशासन से जुड़े लोग और ट्रायल कोर्ट के वकील शामिल।

कौन हैं गुड सेमेरिटन

सड़क दुर्घटना में घायलों को तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने वाले मददगारों को नेक आदमी (गुड सेमेरिटन) कहते है।

कानून की जानकारी

दक्षिण के महानगरों में बहुत कम लोग इस कानून के बारे में जानते हैं। चेन्नई में 93 फीसद लोगों ने कहा कि वह इस कानून के बारे में नहीं जानते। बेंगलुरु में 82 फीसद लोग इस बारे में नहीं जानते और हैदराबाद में 89 फीसद लोगों को इस कानून की जानकारी नहीं है। जहां लोगों को इस कानून के बारे में जानकारी है उसमें मध्य प्रदेश का इंदौर सबसे आगे है। यहां 29 फीसद लोग गुड सेमेरिटन कानून के बारे में जानते हैं। जयपुर में 28 फीसद लोगों को इस कानून की जानकारी है और दिल्ली में 21 फीसद लोग इस कानून के बारे में जानते हैं।

क्या है कानून

2016 में बना गुड सेमेरिटन कानून आमतौर पर उन लोगों को बुनियादी कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जो घायल या खतरे में पड़े व्यक्ति की सहायता करते हैं। कानून कहता है कि अगर कोई आपात स्थिति में हो और उसकी मदद के लिए कोई व्यक्ति पुलिस को फोन करे तो पुलिस उससे उसकी पहचान बताने को नहीं कहेगी। मददगार को अपनी पहचान और पता अस्पताल स्टाफ और पुलिस को बताने की जरूरत नहीं होगी। यदि गुड सेमेरिटन किसी घटना का गवाह बनता है तो पुलिस बेहद सावधानी बरतते हुए उससे जांच में सहयोग के लिए पूछताछ करेगी।


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