Irrfan Khan : चंबल घाटी ने फिर कहा 'दद्दा इतनी जल्दी का हती जायबे की'
फेसबुक पर इरफान को पान सिंह तोमर कहकर चंबल के लोगों ने दी श्रद्धांजलि। फिल्म से दिल्ली से लेकर मायानगरी तक गूंजा था चंबल के बागीपन का जज्बा।
शिवप्रताप सिंह जादौन, मुरैना। पान सिंह तोमर नहीं रहे..! वे दूसरी बार चंबल के लोगों को छोड़ गए। पुलिस ने अक्टूबर 1981 में बागी पान सिंह तोमर का एनकाउंटर किया था। दशकों बाद 2 मार्च 2012 को एक फिल्म पान सिंह तोमर रिलीज हुई। जिसमें उनका किरदार निभाने वाले इरफान खान चंबलवासियों के दिलों में एथलीट पान सिंह तोमर के रूप में घर कर गए। इरफान ने इस किरदार के जरिए चंबल की उजली तस्वीर और बागी समस्या की असली वजहों को सबके सामने ला दिया था। लेकिन महज आठ साल बाद ही दूसरी बार 'पान सिंह तोमर' दुनिया को अलविदा कह गए।
अब चंबल के पास कहने के लिए सिर्फ इतना ही है कि 'दद्दा इतनी जल्दी का हती जायबे की'। यानी इतनी जल्दी क्या थी जाने की। बुधवार दोपहर जब चंबल अंचल में यह खबर तेजी से फैली कि अभिनेता इरफान खान का निधन हो गया है तो शोक संवेदना भरी पोस्ट में सोशल मीडिया एक अलग ही रूप में दिखाई दिया। लोग इरफान की फोटो शेयर कर रहे थे, लेकिन जो लिख रहे थे वे शब्द थे- 'अलविदा पान सिंह तोमर तुम फिर से चले गए'। चंबल घाटी के भिंड, मुरैना और श्योपुर के लोगों ने ज्यादातर पोस्ट में इरफान की पान सिंह तोमर के किरदार वाली फोटो ही पोस्ट की। इरफान के इस डायलॉग ने जीता था दिल चंबल में दस्यु समस्या पर दर्जनों फिल्में बनीं। इन फिल्मों को चंबल के लोग विपरीत छवि प्रस्तुत करने वाला मानते हैं।
बीहड़ में बागी होत हैं, डकैत मिलत है पार्लियामेंट में
फिल्म पान सिंह तोमर में इरफान खान के एक डायलॉग ने चंबल के लोगों का दिल जीत लिया था। वह डायलॉग था- 'बीहड़ में बागी होत हैं, डकैत मिलत है पार्लियामेंट में'। चंबल के लोगों का दर्द और दस्यु समस्या के पीछे की वजहों को इरफान के जिस संवाद ने सबके सामने रखा, वह था-'जब देश के लिए दौड़े तब कोउ ने नहीं पूछो, और अब सब ढूंढ रहे हैं'। इन डायलॉग से मायानगरी में तो चंबल का बागीपन गूंजा ही संसद से जोड़कर दिए डायलॉग का विरोध और समर्थन दिल्ली के राजनीतिक गलियारों तक भी पहुंचा।
पान सिंह तोमर के भतीजे इस तरह व्यक्त की भावना
'इरफान एक नंबर इंसान हते.. 'इरफान एक नंबर इंसान हते। हम बिनके संग पूरे दो महीना रहे.. पान सिंह तोमर फिलिम की शूटिंग के काजे। संग ही रोटी खात हते। छोटे लोगन के लिए बे चाहे कोउ से लड़ जाते हते।' पान सिंह तोमर के भतीजे और उनके गिरोह के सदस्य रहे पूर्व बागी बलवंत ने कुछ इस तरह से इरफान के दुनिया से चले जाने पर अपनी भावना व्यक्त की। बलवंत कहते हैं कि इरफान बीहड़, बागी और वहां के हालातों के बारे में बलवंत से सवाल पूछा करते थे। राजस्थान के धौलपुर से मंडराइल के बीच हुई इस शूटिंग के दौरान भी बलवंत इरफान के साथ रहे।
फिल्म के दो साल बाद पान सिंह परिवार से मिले थे इरफान
पान सिंह तोमर के बेटे सौराम सिंह बबीना में रहते हैं। वे कहते हैं कि फिल्म की शूटिंग से लेकर रिलीज होने तक वे इरफान से नहीं मिले लेकिन फिल्म रिलीज होने के दो साल बाद अचानक सौराम सिंह के पास खबर आई कि इरफान उनसे मिलना चाहते हैं। इरफान ने सौराम सिंह को बाइज्जत दिल्ली बुलाया और उनसे मुलाकात की।