सरकारी आवास में अनधिकृत रूप से रहने पर देना होगा हर्जाना : हाई कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने कहा कि संपदा निदेशालय द्वारा तय अवधि से अधिक सरकारी आवास में रहने पर आवंटी तय दरों पर हर्जाना भरने के लिए उत्तरदायी है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि तय अवधि से अधिक समय तक सरकारी आवास में रहना अनधिकृत कब्जा है। ऐसे कर्मचारी को हर्जाना देना होगा। केंद्र सरकार इस कब्जे के लिए आवंटी के खिलाफ वसूली कार्रवाई करे।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने कहा कि संपदा निदेशालय द्वारा तय अवधि से अधिक सरकारी आवास में रहने पर आवंटी तय दरों पर हर्जाना भरने के लिए उत्तरदायी है। अदालत ने कहा कि याची बिना किसी वैध मंजूरी के सरकारी आवास में रहा। ऐसे में केंद्र सरकार सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत रूप से रहने वालों की बेदखली) अधिनियम के तहत उसपर कार्रवाई करे। सेना के एक पूर्व अधिकारी ने याचिका दायर कर हाई कोर्ट की एक सदस्यीय पीठ के फैसले को चुनौती दी थी। एक सदस्यीय पीठ ने संपदा अधिकारी के आदेश को बरकरार रखा था।
संपदा अधिकारी ने याची द्वारा जुलाई 2008 से जुलाई 2011 तक सरकारी आवास में अनधिकृत रूप से रहने व उसे इस्तेमाल करने के लिए उस पर 9.4 लाख हर्जाना देने का आदेश दिया था। खंडपीठ ने संपदा अधिकारी के आदेश को बरकारार रखते हुए याची पूर्व अधिकारी की अपील खारिज कर दी।