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भारत-चीन के मिलकर काम करने के लिए सीमा पर शांति जरूरी : श्रृंगला

भारत-चीन के मिलकर काम करने के लिए दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति को आवश्यक बताते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि चीन वर्तमान मुद्दों के संतोषप्रद समाधान के लिए काम करेगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 06:11 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 06:11 AM (IST)
भारत-चीन के मिलकर काम करने के लिए सीमा पर शांति जरूरी : श्रृंगला
भारत-चीन के मिलकर काम करने के लिए सीमा पर शांति जरूरी : श्रृंगला

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत और चीन के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए दोनेां पक्षों की ओर से कई दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है। अब विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harshvardhan shringla) ने भारत और चीन के मिलकर काम करने के लिए सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति को 'अनिवार्य शर्त' करार दिया है। श्रृंगला ने गुरुवार को कहा कि भारत को उम्मीद है कि चीन वर्तमान मुद्दों के संतोषप्रद समाधान के लिए काम करेगा और एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं एवं हितों को ध्यान में रखेगा।

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सेमिनार को किया संबोधित 

'चीन की अर्थव्यवस्था का लाभ' विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए श्रृंगला ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के घटनाक्रमों से सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन एवं शांति गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। इससे व्यापक संबंधों पर भी प्रभाव पड़ा है। श्रृंगला ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और चीन के मिलकर काम करने की क्षमता एशियाई शताब्दी का निर्धारण करेगी। इसे साकार करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन एवं शांति अनिवार्य शर्त है। 

चीन से जताई उम्मीद 

विदेश सचिव ने कहा, 'उन्होंने (जयशंकर) स्पष्ट रूप से कहा था कि हमारे संबंधों का विकास आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष वर्तमान मुद्दों के संतोषप्रद समाधान के लिए काम करेगा, ताकि एक दूसरे की संवेदनशीलता, आकांक्षाओं और हितों को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति हो सके।'

पिछले साल मई से ही जारी है सीमा पर तनाव 

बताते चलें कि भारत और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष पांच मई को हिंसक झड़प हो गई थी। इसके बाद तनाव काफी बढ़ गया और दोनों पक्षों ने बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। इसके समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच राजनयिक एवं सैन्य कमांडर स्तर की कई बैठकें हो चुकी हैं।


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