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'मटर क्रांति': मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर उगाई जा रही मटर, कई राज्यों में मटर की खास मांग

मध्य प्रदेश के धार जिले की बदनावर तहसील में तीन साल से खामोश क्रांति हो रही है। इसके नायक वे 12 गांव हैं जहां बड़े पैमाने पर मटर उगाई जा रही है। गुजरात राजस्थान महाराष्ट्र और दिल्ली में यहां की मटर की खासी मांग है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 11:13 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 11:13 PM (IST)
'मटर क्रांति': मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर उगाई जा रही मटर, कई राज्यों में मटर की खास मांग
कई राज्यों में मप्र के बदनावर क्षेत्र के मटर की खास मांग।

प्रेमविजय पाटिल, इंदौर। मध्य प्रदेश के धार जिले की बदनावर तहसील में तीन साल से खामोश क्रांति हो रही है। इसके नायक वे 12 गांव हैं, जहां बड़े पैमाने पर मटर उगाई जा रही है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और दिल्ली में यहां की मटर की खासी मांग है। किसानों ने भी उत्साह दिखाते हुए बीते तीन साल में रकबा 1200 हेक्टेयर से करीब 7156 हेक्टेयर तक पहुंचा दिया है।

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60 दिन में फसल तैयार, पानी भी कम लगता है, किसानों में उत्साह

कहानी की शुरुआत 2018 में हुई। कुछ किसानों ने मटर की पुरानी वैरायटी बदलते हुए 'अर्ली मटर' नामक वैरायटी बोना शुरू की। यह कम समय (करीब 60 दिन) में फलित हो जाती है और पानी भी कम लगता है। इस इलाके में भू-जल की कमी है, इसलिए नई किस्म वरदान सिद्ध हुई। गांव कोद के किसान सत्यनारायण पाटीदार बताते हैं, अच्छी फसल हुई तो अन्य गांवों तक बात पहुंची। लाभ देख आसपास के गांवों के किसानों ने भी मटर की खेती शुरू की। अगले वर्ष 2019 में उन्हें भी लाभ हुआ तो 2020 में और गांव जुड़ गए। इस तरह 12 गांवों के सैकड़ों किसानों ने मटर बोई, जिससे रकबा वर्ष 2018 के 1200 हेक्टेयर से बढ़कर 2020 में 7156 हेक्टेयर हो गया।

इन गांवों ने मटर से पाई मिठास

धार जिले की बदनावर तहसील के गांव कोद, बिड़वाल, जालमपुरा, रेशमगारा, ढोलाना, बालोदा, कंकराज, कानवन, तिलगारा, मुलथान, जवासिया, घटगारा के खेतों में यह मटर क्रांति हो रही है। यहां करीब दो हजार किसान मटर की खेती से जुड़ गए हैं।

प्रति हेक्टेयर लागत और मुनाफे का गणित

- 35 से 40 हजार रुपये आता है खर्च

- एक लाख से 1.20 लाख रुपये तक होती है आय

- एक क्विंटल मटर के किसान को मिल जाते हैं साढ़े तीन हजार रुपये

- इस तरह 60 से 80 हजार रुपये हो जाता है शुद्ध मुनाफा

ये युक्तियां बनीं लाभ का कारण

- 90 दिन के बजाय 60 दिन में पकने वाली 'अर्ली मटर' नामक वैरायटी बोई

- मानसून खत्म होते ही बोवनी करने से जमीन की नमी का लाभ मिल जाता है

- 60 दिन की फसल होने से नलकूप सूखने से पहले फसल पक कर तैयार हो जाती है

- फसल जल्दी आने से मंडी में नई मटर को अच्छा भाव मिलता है

बड़ी कंपनियां कर रहीं अनुबंध

गुजरात की कंपनी एप्किन गुजरात व केरल की वाल्किनी ग्रीन ने किसान समीर गोस्वामी व चयन भोंडे से 24 टन मटर सप्लाय का अनुबंध किया है। कंपनी 15 से 20 रुपये प्रति किलो भाव देगी जबकि खुले बाजार में 10 से 15 रुपये किलो मिलता है। क्षेत्र के एक हजार किसानों ने सकल ऑर्गेनिट सोसायटी भी बनाई है। भविष्य में सोसायटी किसानों की ओर से मिलकर कंपनियों से अनुबंध करेगी।

यूं बढ़ा रकबा

वर्ष      रकबा

2018-1200 हेक्टेयर

2019- 6500 हेक्टेयर

2020-7156 हेक्टेयर

बदनावर क्षेत्र में मटर उत्पादन में क्रांति

बदनावर क्षेत्र में किसानों ने मटर उत्पादन में क्रांति ला दी है। बेहतर किस्म, उचित समय पर बोवनी और सही समय पर मंडी में पहुंचा देने के युक्तियुक्त तरीकों से किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है- केएस मंडलोई, सहायक संचालक, उद्यानिकी विभाग, धार, मप्र। 


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