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बिना बेहोश किये हुई ब्रेन सर्जरी, मरीज पढ़ता रहा हनुमान चालीसा

सर्जरी करने वाले चिकित्सक डॉ.के.के. बंसल ने बताया कि बीकानेर निवासी 30 साल के हुलास मल को पिछले तीन माह से बार-बार मिर्गी के दौरे आने की समस्या थी ।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 07:09 PM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 08:11 AM (IST)
बिना बेहोश किये हुई ब्रेन सर्जरी, मरीज पढ़ता रहा हनुमान चालीसा
बिना बेहोश किये हुई ब्रेन सर्जरी, मरीज पढ़ता रहा हनुमान चालीसा

जागरण संवाददाता,जयपुर। जयपुर के नारायणा हॉस्पिटल में 30 साल के एक मरीज की पूरे होश में सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान मरीज पूरे होश में रहते हुए हनुमान चालीसा पढ़ता रहा । इस तरह का प्रदेश में यह पहला मामला सामने आया है। हॉस्पिटल की न्यूरो सर्जरी टीम ने ब्रेन ट्यूमर आॅपरेशन के दौरान यह सफलता हासिल की है । इसे अवेक ब्रेन सर्जरी के नाम से जाना जाता है ।

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बार-बार मिर्गी का दौरा आने की थी समस्या

सर्जरी करने वाले चिकित्सक डॉ.के.के. बंसल ने बताया कि बीकानेर निवासी 30 साल के हुलास मल को पिछले तीन माह से बार-बार मिर्गी के दौरे आने की समस्या थी । मरीज की बायोप्सी होने पर पता लगा कि उनके दिमाग में ग्रेड-दो का ट्यूमर था। यह ट्यूमर स्पीच वाले हिस्से में था । उन्हें कुछ अन्य अस्पतालों ने सर्जरी के लिए इंकार कर दिया था, क्योंकि सर्जरी से उनके बोलने की क्षमता जा सकती थी और लकवा होने का खतरा भी था।

मरीज नारायणा हा्स्पिटल पहुंचा जहां न्यूरो सर्जन और ब्रेन ट्यूमर सर्जरी एक्सपर्ट डॉ. के.के बंसल ने सफलतापूर्वक ब्रेन ट्यूमर को मरीज के होश में रहते हुए निकाला। यह सर्जरी इसलिए भी चुनौतिपूर्ण थी, क्योंकि सर्जरी के दौरान छोटी सी गलती भी हो जाने पर मरीज बोलने की क्षमता खो सकता था । बंसल ने बताया कि सामान्य ब्रेन ट्यूमर सर्जरी में मरीज को बेहोश कर दिया जाता है जिससे सर्जरी के दौरान उसके मस्तिष्क के स्पीच एरिया पर पड़ रहे प्रभाव पर निगरानी नहीं की जा सकती। लेकिन अवेक ब्रेन सर्जरी की तकनीक से मरीज की बोलने की क्षमता को सर्जरी के दौरान बार-बार जांचा जा सकता है।

इस केस में मरीज को लगातार हनुमान चालीसा पढ़ने, सुनाने और गाने के लिए कहा जाता रहा, उसकी तुरंत प्रतिक्रिया से हमें सर्जरी को सुरक्षित रूप से अंजाम देने में सहायता मिली, क्योंकि जब भी हम गलत हिस्से को छेड़ते थे तो मरीज को स्पीच अरेस्ट हो जाता था। तीन घंटे तक चली इस सर्जरी में अत्याधुनिक माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया गया और विशेष डाई इंजेक्ट किए गए जो ट्यूमर को मार्क करने में मदद करता है । सर्जरी के बाद 72 घंटे के अंदर डिस्चार्ज किया गया और अब वह सामान्य है ।


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