फिर खुल सकती है पथरीबल मामले की जांच
जम्मू-कश्मीर में पथरीबल मुठभेड़ मामले की जांच पर फौजी अधिकारियों को मिली क्लीनचिट से उठे सवालों के बीच नए सिरे से पड़ताल का दबाव बढ़ गया है। ऐसे में संकेत हैं कि करीब डेढ़ दशक पहले हुई इस मुठभेड़ की जांच फिर से खुल सकती हैं। सरकारी सूत्रों ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा कि 'कोई भी जांच या फैसला न्यायिक समीक्षा से
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पथरीबल मुठभेड़ मामले की जांच पर फौजी अधिकारियों को मिली क्लीनचिट से उठे सवालों के बीच नए सिरे से पड़ताल का दबाव बढ़ गया है। ऐसे में संकेत हैं कि करीब डेढ़ दशक पहले हुई इस मुठभेड़ की जांच फिर से खुल सकती हैं। सरकारी सूत्रों ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा कि 'कोई भी जांच या फैसला न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है।'
लिहाजा फौजी अधिकारियों के खिलाफ कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में सैन्य जांच को फिर खोलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। यह संकेत ऐसे वक्त आए हैं जब सोमवार को रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के साथ मुलाकात की है। तीनों सेना प्रमुखों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद रक्षा मंत्री ने सेनाध्यक्ष के साथ अलग से भी मुलाकात की। हालांकि बैठक में क्या बात हुई, इस बारे में अधिकारी चुप हैं।
गौरतलब है कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में वर्ष 2000 में हुई पथरीबल मुठभेड़ में पांच नागरिकों की मौत की जांच कर रही सेना ने अपने ब्रिगेडियर व लेफ्टिनेंट कर्नल समेत पांचों सैन्य अधिकारियों को क्लीन चिट देते हुए मामले की पड़ताल बंद कर दी है। मामले में सेना की जांच करीब दो साल चली और 50 से अधिक गवाहों के बयान लिए गए। सेना के इस फैसले पर काफी आलोचना के सुर भी उठे।
राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी कह चुके हैं कि सूबे की सरकार इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए कानूनी विकल्प तलाश रही है। केस बंद करने के बारे में सेना ने श्रीनगर की ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट को भी सूचित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि 2003 में इस मामले की जांच सीबीआइ ने भी शुरू की थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सेना की दलील को स्वीकार करते हुए उसे ही अपने मामले में अपने अधिकारियों की भूमिका जांचने का अधिकार दे दिया था। वर्ष 2000 में कश्मीर के छत्ती सिंह पोरा में 35 सिखों की हत्या के जिम्मेदार आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने अनंतनाग से 35 किलोमीटर दूर पथरीबल में अभियान चलाकर पांच लोगों को मार गिराया था।
सबूत के अभाव में सेना ने बंद किया पथरीबल फर्जी मुठभेड़ केस
इन पांच लोगों के स्थानीय होने की पुष्टि होने के बाद फर्जी मुठभेड़ का मामला तूल पकड़ गया था। पीड़ित परिवारों का आरोप था कि सेना के पांच अधिकारियों ने फर्जी मुठभेड़ कर बेगुनाह लोगों को मार गिराया है। जिन अधिकारियों पर आरोप लगे थे, उनमें ब्रिगेडियर अजय सक्सेना, लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, मेजर सौरभ शर्मा, मेजर अमित सक्सेना व सूबेदार इदरीस खान शामिल थे।
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